महागठबंधन से फिर दोस्त बने भाजपा व शिवसेना, बाकी दलों का बिगड़ सकता है खेल

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मुंबई : करीब एक साल चली तनातनी के बाद भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना में फिर से दोस्ती हो गयी है. दोनों पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर सहमति बन गयी है| लोकसभा चुनाव में बीजेपी 25 और शिवसेना 23 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियां बराबर सीटों पर लड़ेंगी|

सोमवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे की लंबी मुलाकात के बाद इस पर आखिरी मुहर लग गयी. बैठक के बाद दोनों नेताओं ने साझा प्रेस कांफ्रेंस की. सीएम देवेंद्र फणनवीस भी इस दौरान मौजूद रहे और महत्वपूर्ण घोषणा की. फणनवीस ने कहा कि सीटों पर बंटवारे से पहले दोनों पार्टियों के बीच राम मंदिर को लेकर चर्चा हुई|
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उद्धव ठाकरे: मुझे नहीं लगता कि कुछ और बाकी रह गया है. कुछ और कहने से पहले मैं पुलवामा हमले में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देना चाहता हूं. चार महीने में विधानसभा चुनाव हैं, सीटें बराबर बांटी गयी हैं. जिम्मेदारियां भी बराबर बांटी जायेंगी. लोग शिवसेना और भाजपा को 30 साल से देख रहे हैं. 25 साल तक हम साथ रहे. पांच साल के लिए कुछ कंफ्यूजन था.
अमित शाह: करोड़ों कार्यकर्ताओं की इच्छा पूरी हुई है. भाजपा का सबसे पुराना दोस्त शिवसेना है. हर अच्छे बुरे वक्त में हमारा साथ दिया है. थोड़ा मनमुटाव था, आज इसी जगह पर सारा मनमुटाव खत्म कर आगे बढ़ने का फैसला लिया गया है. गठबंधन 45 सीटें जीतेगा. उम्मीद करता हूं कि आने वाले वक्त में मोदी जी के नेतृत्व में एक मजबूत सरकार देने में कामयाब होंगे.
देवेंद्र फणनवीस: भाजपा और शिवसेना ने एक बार फिर साथ आने का निर्णय लिया है. हमारा 25 सालों का रिश्ता है. पिछले विधानसभा चुनाव में हम साथ नहीं लड़ पाये, बावजूद इसके हमने साथ में सरकार चलायी है. जनभावना का आदर करके दोनों साथ आये, सैद्धांतिक रूप से दोनों हिंदूवादी हैं. लोकसभा चुनाव में भाजपा 25, शिवसेना 23 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. विधानसभा चुनाव में दोनों बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगे|
2014 : लोस और विस में भाजपा बड़ी पार्टी
पार्टी          लोकसभा         विधानसभा
 सीटें वोट शेयर सीटें वोट शेयर
भाजपा 23 27.56% 122 31.15%
शिवसेना 18 20.82% 63 19.80%
एनसीपी 04 16.12% 41 17.96%
कांग्रेस 02 18.29% 42 18.10%
अन्य 01 17.21% 20 12.99%
2014 विस चुनाव अलग-अलग लड़े : 2014 के विस चुनाव में शिवसेना व भाजपा के बीच गठबंधन पर सहमति नही पायी थी, जिसके कारण दोनों दलों ने अकेले चुनाव लड़ा. बताया जा रहा है कि शिवसेना विस की ज्यादा सीटें मांग रही थी, जिसे भाजपा देने को तैयार नहीं थी|
लोकसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच भाजपा-शिवसेना के बीच दोबारा हुई दोस्ती बाकी दलों का खेल बिगाड़ सकती है. महाराष्ट्र में दोनों के मिलकर चुनाव लड़ने पर कांग्रेस और अन्य दलों के लिए लड़ाई मुश्किल हो सकती है. हालिया उपचुनाव में शिवसेना ने अलग चुनाव लड़ा था. शिवसेना भी आये दिन सामना के जरिये भाजपा और नरेंद्र मोदी को निशाना बना रही थी|