स्टेम सेल थेरेपी से मिला मध्यप्रदेश के 23 वर्षीय इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर अजहर खान को एक नया जीवन, जानिए कैसे?

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(www.newsindia365.com) – News  By – विवेक चौधरी 

  • रीढ़ की हड्डी में चोट के मरीजों के लिए नया उपचार न्यूरोजेन ब्रेन एंड स्पाइन इंस्टीट्यूट ने मध्य प्रदेश के 23 वर्षीय इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर अजहर खान को एक नया जीवन और कार्यात्मक स्वतंत्रता प्रदान की 
  • न्यूरोजेन बीएसआई ने मध्य प्रदेश के सभी न्यूरोलॉजिकल विकारों से पीड़ित मरीजों के लिए 02 मार्च2019 को इंदौर में नि: शुल्क शिविर की घोषणा की है
  • न्यूरोजेन का स्टेम सेल थेरेपी सह पुनर्वास, रीढ़ की हड्डी में चोट के बाद अधरांगघात  (पैराप्लेजिया) और चतुरांगघात (क्वाड्रीप्लेजिया) की चपेट में आए मरीजों को फिर से अपने पैरों पर खड़ा होने और जीवन को नए सिरे से जीने में सहायता करता है

रतलाम, 15 फरवरी, 2019 : पुनर्वास विशेषज्ञों के लिए क्षतिग्रस्त रीढ़ की हड्डी (स्पाइनल कॉर्ड इंजुरी) के पीड़ितों का पुनर्वास करना सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में से एक है। आज तक ऐसे लोगों की संख्या बेहद कम है जो क्षतिग्रस्त स्पाइनल कॉर्ड के लिए रामबाण उपचार करने या फिर क्षतिग्रस्त स्पाइनल कॉर्ड के उत्थान का दावा करते हों। हालांकि दुनियाभर के शोधकर्ता इस संदर्भ में स्टेम सेल थेरेपी (एससीटी) को बड़ी उम्मीद के रूप में देख रहे हैं और सारी शंकाओं को निराधार साबित करते हुए यह पाया गया है कि सिर्फ एससीटी के बजाय बेहतर पुनर्वास के साथ एसीटी के परिणाम बेहतर सिद्ध हुए हैं। इसलिए एससीटी में बेहतर पुनर्वास को प्राथमिकता दी जा रही है। नीमच के 23 वर्षीय इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर अजहर खान, जो दुर्घटना का शिकार होने के बाद से पिछले २ वर्षों से व्हीलचेयर पर थे अब कार्यात्मक रूप से स्वतंत्र हो गए हैं। स्टेमसेल थेरेपी सह पुनर्वास के बाद अब वह सहारा लेकर चलने में सक्षम हो गए हैं।

नवी मुंबई के नेरुल में स्थित न्यूरोजेन ब्रेन ऐंड स्पाइन इंस्टीट्यूट भारत का अग्रणी स्टेम सेल थेरेपी सह पुनर्वास केंद्र है। यह केंद्र स्टेम सेल थेरेपी और रिहैबिलेशन के माध्यम से असाध्य न्यूरोलॉजिकल विकारों से पीड़ित मरीजों के लिए नई उम्मीद की तरह है।

न्यूरोजेन बीएसआई की स्थापना स्टेम सेल थेरेपी के जरिए सुरक्षित और प्रभावी तरीके से असाध्य न्यूरोलॉजिकल विकारों से पीड़ित मरीजों की मदद करने और उनके लक्षणों और शारीरिक विकलांगता से राहत प्रदान करने के लिए की गई है। न्यूरोजेन ब्रेन ऐंड स्पाइन इंस्टीट्यूट न्यूरोलॉजिकल विकार मसलन, ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक मंदता, ब्रेन स्ट्रोक , मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी, स्पाइनल कॉर्ड इंजुरी, सिर में चोट, सेरेबेलर एटाक्सिया, डिमेंशिया, मोटर न्यूरॉन रोग, मल्टीपल स्केलेरॉसिस और न्यूरोसाइकिएट्रिक विकार के लिए स्टेम सेल थेरेपी और समग्र पुनर्वास प्रदान करता है। अब तक इस संस्थान ने 60 से अधिक देशों के 6000 मरीजों का सफलतापूर्वक उपचार किया है।

न्यूरोजेन ब्रेन एंड स्पाइन इंस्टीट्यूट मध्यप्रदेश में रहने वाले न्यूरोलॉजिकल विकारों से पीड़ित सभी मरीजों के लिए 02 मार्च 2019 को इंदौर में एक निःशुल्क कार्यशाला और ओपीडी परामर्श शिविर का आयोजन कर रहा है। न्यूरोजेन को एहसास है कि स्पाइनल कॉर्ड इंजुरी, मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी, ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी इत्यादि विकारों से पीड़ित मरीजों को सिर्फ परामर्श के उद्देश्य से मुंबई तक की यात्रा करना काफी तकलीफदेह होता है, इसलिए मरीजों की सुविधा के लिए इस शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इस तरह के असाध्य न्यूरोलॉजिकल विकारों से पीड़ित सभी मरीज इस निःशुल्क शिविर में परामर्श के लिए समय लेने के लिए मोना (मोबाइल नंबर- 09920200400) या पुष्कला (मोबाइल नंबर – 09821529653) से संपर्क कर सकते हैं।

एलटीएमजी अस्पताल और एलटीएम मेडिकल कॉलेज, सायन, मुंबई के प्रोफेसर एवं न्यूरोसर्जरी के प्रमुख और न्यूरोजेन ब्रेन एंड स्पाइन इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. आलोक शर्मा कहते हैं, ‘‘स्पाइनल कॉर्ड में लगी चोट किसी व्यक्ति की कार्यात्मक स्वतंत्रता को प्रभावित करती है, जिसका व्यापक असर जीवन की गुणवत्ता, स्वानुभूति और परिणामदायक सामाजिक भागीदारी पर पड़ता है। आमतौर पर यह समझा जाता है कि किसी व्यक्ति में कार्यात्मक स्वतंत्रता प्राप्त करना इस पर निर्भर करता है कि उसके स्पाइनल कॉर्ड को कितनी क्षति पहुंची है, लेकिन किसी व्यक्ति की स्नायुतंत्र की क्षमता का महज अनुमान लगाने के बजाय कार्यक्षमता के अनुरूप उसका आंकलन किया जाना चाहिए।’’

अक्सर सड़क यातायात के दौरान दुर्घटना होने, रेल दुर्घटना से, ऊंचाई से गिरने या फिर खेलकूद के दौरान चोट लगने के बाद रीढ़ की हड्डी क्षतिग्रस्त हो जाती है। 10 लाख लोगों में से लगभग 25 लोग इस तरह की चोट की चपेट में आते हैं। रीढ़ की हड्डी में चोट का परिणाम, चाहे वह अधरांगघात (पैराप्लेजिया) हो अथवा चतुरांगघात (क्वाड्रीप्लेजिया) हो, गंभीर और अपंग बना देनेवाला होता है।

न्यूरोजेन ब्रेन एंड स्पाइन इंस्टीट्यूट की उप निदेशक और चिकित्सा सेवा प्रमुख डॉ. नंदिनी गोकुलचंद्रन ने कहा, ‘‘ लंबे समय से यह धारणा रही है कि स्पाइनल कॉर्ड के क्षतिग्रस्त (एससीआई) होने के कारण होनेवाली पैराप्लेजिया या क्वाड्रीप्लेजिया की समस्या के चलते व्यक्ति ताउम्र के लिए व्हीलचेयर पर सिमट कर रह जाता है या फिर जीवन भर बिस्तर पर पड़ा रहने को मजबूर हो जाता है। इन रोगियों के जीवन को पुन: गतिशील बनाने के लिए चिकित्सा समुदाय ने हमेशा खुद को किसी कारगर उपकरण या उपाय से रहित महसूस किया है। लेकिन अब स्टेम सेल थेरेपी के उभरते युग के साथ हम इन रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में फर्क ला सकते हैं और उन्हें एक बार फिर अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद कर सकते हैं।’’

आज हम मध्य प्रदेश के नीमच के एक 23 वर्षीय इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर श्री अजहर खान का मामला प्रस्तुत कर रहे हैं। 06 अप्रैल 2016 की रात, भारी वर्षा के दौरान अजहर पर एक दीवार गिर गई और वह मलबे के नीचे फंस गया। इसके कारण उनकी रीढ़ में डी-12 -एल-1 स्तर पर चोट पहुंची। उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया और 2 से 3 दिनों के भीतर स्पाइन फिक्सेशन सर्जरी की गई। विभिन्न प्रकार की दवाओं के साथ ही सामान्य एक्सरसाइज भी कराए गए, हालांकि इससे उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। अजहर और उनके परिवार के लोगों को पूर्व में अपना इलाज करा चुके एक व्यक्ति से न्यूरोजेन ब्रेन ऐंड स्पाइन इंस्टीट्यूट के बारे में जानकारी मिली। बिना समय बर्बाद किए अजहर के परिवारवालों ने ऑनलाइन परामर्श किया और जुलाई 2017 के दौरान एनआरआरटी (न्यूरो रीजनरेशन रिहेबिलिटेशन थेरेपी) के लिए न्यूरोजेन बीएसआई पहुंचे।

न्यूरोजेन बीएसआई पहुंचने पर अजहर में मुख्य शिकायतों में पाया गया कि बिस्तर पर गतिशीलता के दौरान उसका धड़ पर नियंत्रण बहुत खराब था। पीठ का सहारा लिए बिना शर्ट पहनने जैसे कार्य में भी कठिनाई महसूस होती थी। खड़े होने पर चक्कर आने जैसा महसूस होता था, 15-20 मिनट से ज्यादा खड़ा रह पाने में मुश्किल होती थी। रोजमर्रा की गतिविधियों को करने में कठिनाई महसूस होती थी।कमर से नीचे के हिस्से में स्पर्श या दबाव महसूस नहीं होता था। मूत्राशय और आंत्र नियंत्रण नदारद था, तो वहीं किसी तरह की संवेदना महसूस नहीं होती थी।

न्यूरोजेन में अजहर को एक सप्ताह के लिए एनआरआरटी (न्यूरो रीजनरेटिव रिहैबिलिटेशन थेरेपी) दी गई। उन्हें अनुभवी फिजियोथेरेपिस्ट, ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट, मनोवैज्ञानिक काउंसिलर्स इत्यदि द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। उपचार के बाद घर लौटने पर अजहर ने नियमित रूप से पुनर्वास प्रक्रिया का पालन जारी रखा। श्री अजहर कहते हैं, ‘‘इतने सारे उपचार करने के बाद पहली बार मैंने खुद को सुधार के रास्ते पर पाया है।”

एनआरआरटी थेरेपी के बाद अजहर में मुख्य सुधार ये नजर आए कि अब उसकी बिस्तर की गतिशीलता में सुधार हुआ है। अब वह मुड़ सकता है, स्थिति बदल सकता है और स्वतंत्र रूप से उठ-बैठ सकता है। अब वह अपने धड़ के बेहतर नियंत्रण के साथ तेजी से आगे और पीछे की स्थानांतरण गतिविधियों को कर पाने में सक्षम है। आगे की ओर घुसकने (क्रॉल करने) में सक्षम है। स्थिर और गतिशील अवस्था में उसके बैठने के संतुलन में सुधार हुआ है। अब वह वॉकर के सहारे स्वतंत्र रूप से बैठी स्थिति से खड़े होने में सक्षम है। आबिद कुछ मिनटों के लिए दोनों घुटनों को स्वतंत्र रूप से लॉक करने में सक्षम है। घुटनों के नीचे स्पिलिंट्स और वॉकर के सहारे अब वह स्वतंत्र रूप से चलने में सक्षम है। घर के बाहर वॉकर और पुश-नी स्पिलिंट्स के सहारे स्वतंत्र रूप से चल पाने में सक्षम है। अब वह स्वतंत्र रूप से ढलान पर चढ़ने लगा है और न्यूनतम सहारे के साथ सीढ़ियां चलने लगा है। डी-12, एल-1 और एल-2 हिस्से में हल्के स्पर्श की संवेदना महसूस होने लगी है। यदि वैâथेटर (नलिका) जकड़ा हो,तो अब वह मूत्राशय भरने का अस्पष्ट खिंचाव महसूस करने में सक्षम है।

न्यूरोजेन बीएसआई को धन्यवाद देते हुए श्री अजहर ने कहा, ‘‘मैं खुद में सुधार नजर आ रहा है।’’ उनके परिवार ने उम्मीद जताई,‘‘ निष्ठापूर्वक पुनर्वास के साथ अजहर शीघ्र ही स्वतंत्र हो जाएगा।’’ अब अजहर ने धीरे-धीरे फिर से काम शुरू कर दिया है।

डॉ. नंदिनी गोकुलचंद्रन ने आगे कहा, “न्यूरोजेन में मरीजों को केवल स्टेम सेल थेरेपी ही नहीं दी जाती है बल्कि स्टेम सेल थेरेपी के साथ-साथ उनके व्यापक पुनर्वास का प्रयास भी किया जाता है। मरीजों को बेड मोबिलिटी टेक्निक (बिस्तर निर्भरता से छुटकारा दिलानेवाली तकनीक) मसलन, रोलिंग, पड़ी हुई अवस्था से उठने का तरीका, खाट से व्हीलचेयर पर स्थानांतरण का सटीक तरीका, व्हीलचेयर से कार की सीट पर जाने का तरीका आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है।’’

नवी मुंबई के नेरुल में स्थित न्यूरोजेन ब्रेन एंड स्पाइन इंस्टीट्यूट भारत का पहला और एकमात्र संस्थान है जो स्टेम सेल थेरेपी प्रदान करने के साथ ही व्यापक पुनर्वास उपलब्ध कराता है। यह 11 मंजिला इमारत एक सुपर स्पेशलिएटी अस्पताल सहविशेष न्यूरो-रीहैबिलेशन थेरेपी सेंटर हैं। न्यूरोजेन ब्रेन एंड स्पाइन इंस्टीट्यूट की स्थापना सुरक्षित और प्रभावी तरीके से स्टेम सेल थेरेपी के जरिए लाइलाज न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से पीड़ित मरीजों की मदद के लिए, उनके लक्षण और शारीरिक विकलांगता से राहत प्रदान करने के लिए की गई है। न्यूरोजेन ब्रेन एंड स्पाइन इंस्टीट्यूट न्यूरोलॉजिकल विकार मसलन, आटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक मंदता, ब्रेन स्ट्रोक, मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी, स्पाइनल कॉर्ड इंजुरी, सिर में चोट, सेरेबेलर एटाक्सिया,डिमेंशिया, मोटर न्यूरॉन रोग, मल्टीपल स्केलेरॉसिस और न्यूरोसाइकिएट्रिक विकार के लिए स्टेम सेल थेरेपी और समग्र पुनर्वास प्रदान करता है। अब तक इस संस्थान ने 60 से अधिक देशों के 6000 मरीजों का सफलतापूर्वक उपचार किया है।

डॉ. आलोक शर्मा ने सारांश में कहा, ‘‘उन लाखों को मरीजों को जिन्हें हमने पहले कहा कि अब चिकित्सकीय रूप से आपकी बीमारी के लिए कुछ नहीं किया जा सकता है, अब उचित विश्वास के साथ कह सकते हैं कि स्टेम सेल थेरेपी व न्यूरोरिहैबिलेशन की युग्मित चिकित्सा की उपलब्धता के साथ ‘अच्छे दिन आने वाले हैं’।’’