क्या आप जानते है की 2019 के इस लोकसभा चुनावो में कितने हज़ार करोड़ रुपए हो सकते हैं खर्च? पीछे छूट जाएगा अमेरिका

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चुनाव आयोग आज शाम लोकसभा चुनाव 2019 की तारीखों का ऐलान कर सकता है. इसके अलावा लोकसभा चुनाव के साथ ही आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम विधानसभा चुनावों का ऐलान भी किया जा सकता है. सूत्रों के अनुसार सिक्किम विधानसभा का कार्यकाल 27 मई, आंध्र प्रदेश का कार्यकाल 18 जून, ओडिशा का कार्यकाल 11 जून और अरुणाचल प्रदेश की विधानसभा का कार्यकाल जून के पहले सप्ताह में पूरा हो रहा है. बता दें कि एक अनुमान के मुताबिक ये आम चुनाव दुनिया का सबसे महंगा चुनाव साबित होने जा रहा है.

चुनावी खर्चे में अमेरिका को पीछे छोड़ देगा भारत

‘कारनीज एंडोमेंट फोर इंटरनेशनल पीस थिंकटैंक’ में सीनियर फेलो और दक्षिण एशिया कार्यक्रम के निदेशक मिलन वैष्णव के मुताबिक 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और कांग्रेस चुनावों में 46,211 करोड़ रुपए (650 करोड़ डॉलर) खर्च हुए थे. वैष्णव के मुताबिक अगर भारत में 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में 35,547 करोड़ रुपए (500 करोड़ डॉलर) खर्च हुए थे तो 2019 के चुनाव में अमेरिकी चुनावों में खर्च का आंकड़ा आसानी से पार हो सकता है. अगर ऐसा हुआ तो यह दुनिया का सबसे खर्चीला चुनाव साबित होगा.

प्रधानमंत्री के अभियान में हुआ खर्च शामिल नहीं है

सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज ने अपने सर्वे में कर्नाटक चुनाव को ‘धन पीने वाला’ बताया था. सीएमएस के अनुसार विभिन्न राजनीतिक पार्टियों और उनके उम्मीदवारों द्वारा कर्नाटक चुनाव में 9,500 से 10,500 करोड़ रुपए के बीच धन खर्च किया गया. यह खर्च राज्य में आयोजित पिछले विधानसभा चुनाव के खर्च से दोगुना है. सर्वेक्षण में बताया गया कि इसमें प्रधानमंत्री के अभियान में हुआ खर्च शामिल नहीं है. सीएमएस के मुताबिक कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु देश में विधानसभा चुनाव में खर्च के मामले में सबसे आगे हैं.

केंद्र सरकार का कार्यकाल 3 जून 2019 को खत्म हो रहा है

सीएमएस के एन भास्कर राव के मुताबिक खर्च की दर अगर यही रही तो 2019 के लोकसभा चुनाव में 50,000 से 60,000 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है. पिछले लोकसभा चुनाव में 35,000 करोड़ रुपया खर्च हुआ था. आपको बता दें कि मौजूदा केंद्र सरकार का कार्यकाल 3 जून 2019 को खत्म हो रहा है यानि इससे पहले ही चुनाव आयोग को चुनाव संपन्न कराने जरूरी हैं. लिहाजा माना जा रहा है कि अप्रैल और मई में चुनाव होने तय हैं. कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान में देरी को लेकर चुनाव आयोग पर निशाना साधा है.

सरकार आचार संहिता लागू होने से पहले कुछ घोषणा कर सके

विपक्ष का कहना है कि यह देरी इसलिए की जा रही है, ताकि सरकार आचार संहिता लागू होने से पहले कुछ घोषणा कर सके. वहीं चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बीते बुधवार को बताया था कि लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान करने में अभी वक्त है और कुछ राजनीतिक दलों द्वारा जानबूझकर देरी के आरोप अनुचित हैं. बता दें, साल 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए 5 मार्च को चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया था. चुनाव की तारीखों का पिछली बार की तरह मार्च के पहले सप्ताह में ऐलान न होने के बाद विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पर जानबूझकर देरी का आरोप लगाया है ताकि सरकार कुछ घोषणाएं कर सके जो कि आचार संहिता लागू होने के बाद नहीं कर पाएंगे.

सरकारी पैसों का उपयोग अपने प्रचार के लिए करने की कोशिश कर रही है

ऐसे ही आरोप गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले भी लगे थे. कांग्रेस के सीनियर लीडर अहमद पटेल ने ट्वीट कर यह भी दावा किया कि सरकार अपने आखिरी मिनट तक सरकारी पैसों का उपयोग अपने प्रचार के लिए करने की कोशिश कर रही है. साथ ही उन्होंने पूछा- क्या चुनाव आयोग आम चुनाव के लिए तिथियों की घोषणा से पहले प्रधानमंत्री के आधिकारिक यात्रा कार्यक्रमों के पूरा होने का इंतजार कर रहा है? अहमद पटेल ने दावा किया- सरकारी कार्यक्रमों का इस्तेमाल राजनीतिक सभाओं, टीवी/रेडियो एवं प्रिंट पर राजनीतिक विज्ञापनों के लिए हो रहा है. ऐसा लग रहा है कि चुनाव आयोग सरकार को पूरी छूट दे रहा है कि वह आखिरी मिनट तक पैसे का उपयोग करे.