छह माह में ध्वस्त हो जायेगा कमलनाथ सरकार का बजट- विधायक काश्यप

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  • सरकार पी.एम.आवास के पैसे नहीं दे रही और
  • कुपोषण विरोधी अभियान भी बंद करा दिया

रतलाम 11 जुलाई। रतलाम विधायक एवं राज्य योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष चेतन्य काश्यप ने वर्ष 2019-20 के लिये कमलनाथ सरकार द्वारा प्रस्तुत बजट का पुरजोर विरोध किया है। उन्होनें कहा कि यह बजट कम घोषणा पत्र ज्यादा लगता है । हवाई आंकड़ों के अनुमानों पर आधारित यह बजट प्रदेश की वास्तविक स्थिति से काफी दूर है। यह बजट छह माह में ध्वस्त हो जायेगा। 

काश्यप आज राज्य विधानसभा में बजट की सामान्य चर्चा में बजट की खामिंया गिना रहे थे। उन्होनें कहा कि वित्त मंत्री ने राजस्व में 23 प्रतिशत वृध्दि की बात कही है, जो कि आधारहीन और काल्पनिक है । राजस्व में इतनी वृध्दि कहां से और कैसे होगी, इसके बारे में उन्होनें कोई ठोस आंकड़े नहीं दिये है। आबकारी से 4500 करोड़ रूपये की वसूली होने के अनुमान को आधारहीन बताते हुये काश्यप ने कहा कि इस मद में 2000 करोड़ रूपये से ज्यादा रकम प्राप्त नहीं होने वाली ।  

उन्होनें वित्त मंत्री द्वारा पूर्ववर्ती शिवराज सरकार द्वारा खजाना खाली छोड़कर जाने संबंधी कथन को मिथ्या बताया और प्रति प्रश्न किया कि वर्ष 2018-19 में प्रदेश की विकास दर 12 प्रतिशत से ज्यादा रही। इसी आधार पर सरकार 32 हजार करोड़ रूपये का कर्ज ले पाने की स्थिति में है । उन्होंने  कहा कि केन्द्र ने अपने राजस्व में २० प्रतिशत वृद्धि का जो आकलन किया है वह जी.एस.टी. और आयकर संग्रहण के आधार पर किया गया है। वित्त मंत्री ने पूंजीगत व्यय 32 हजार करोड़ रूपये होने की बात कही है जो कि बजट का 15 प्रतिशत होता है। जबकि विगत वर्षों में पूंजीगत व्यय 17-18 प्रतिशत रहा है। पूंजीगत व्यय का काम होना और राजस्व व्यय का बढ़ना राज्य के भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है।

विधायक काश्यप ने वित्त मंत्री द्वारा बजट में किये गये किसानों की कर्ज माफी के दावे को भी खोखला साबित किया । वित्त मंत्री ने अनुपूरक अनुमान में कर्जमाफी के लिये 7 हजार करोड़ रूपये और इस बजट में 8 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया है । इस प्रावधान के साथ ही सरकार ने प्राथमिक सहकारी साख समितियों को आदेश दिया है कि किसानों की कर्जमाफी की 50 प्रतिशत राशि वे स्वयं वहन करें । सरकार का यह आदेश कर्जमाफी की घोषणा से पीछे हटने वाला कदम है । इससे तो सहकारी साख समितियों की संचित निधि ही समाप्त हो जायेगी और उनका समूचा ढांचा ही ध्वस्त हो जायेगा । 

बजट में वित्त मंत्री ने महेश्वर और चंदेरी की साड़ियों, टीकमगढ़-छतरपुर के पीतल उद्योग, भिण्ड के पेड़ों, रतलाम के सेव और सागर की बरफी की ब्राडिंग और मार्केटिंग करने की घोषणा भी की है । परन्तु इसे मूर्तरूप देने के लिये कोई कार्ययोजना नहीं बताई । काश्यप ने कहा कि उन्होनें 10 करोड़ की लागत से रतलाम में नमकीन कलस्टर की स्थापना कराई है । साथ ही जियोग्राफिकल इंडिसस चेन्नई से ब्राडिंग प्राप्त की है । अब रतलाम के सेव निर्माता ही रतलामी सेव की ब्राडिंग से अपने उत्पादों का विक्रय कर पायेंगे । अन्य कोई इस ब्रांड का उपयोग नहीं कर पायेगा । 

उन्होनें सरकार द्वारा एक हजार गौ शालाओं के खोलने की योजना पर भी सवाल खड़े किये । वित्त मंत्री ने बजट में इसके लिये 132 करोड़ का प्रावधान रखा है । इस आधार पर तो एक गौ शाला के लिये 13 लाख रूपये प्राप्त होंगे। इतनी राशि तो गौ शाला की भूमि के समतलीकरण में ही लग जाती है। प्रदेश में 10 लाख से ज्यादा गौवंश है, इनके लिये 700 करोड़ रूपये चाहिए ।

उन्होनें सत्ता पक्ष के विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री कमलनाथ के छिंदवाड़ा मॉडल को अपनाये जाने की मांग पर ऐतराज किया और सवाल किया कि क्या है छिंदवाड़ा का मॉडल ? सौंसर के अधिकांश उद्योग बंद पड़े हैं । यदि कमलनाथ की साख होती तो ये उद्योग बंद नहीं होते और सरकार को अक्टूबर माह में इंदौर में निवेशक सम्मलेन बुलाने की जरूरत नहीं पड़ती । उन्होनें कहा कि निवेशक विश्वास पर नहीं बल्कि काम देखकर पैसा लगाते है । प्रदेश में संचालित औद्योगिक क्षेत्रों की दुर्दशा को देखकर कोई भी निवेशक उद्योग लगाने की हिम्मत नहीं करता । रतलाम, नीमच, इंदौर, मालनपुर आदि सभी औद्योगिक क्षेत्र दुर्दशा के शिकार है । वहां पानी, बिजली और सड़कों की दयनीय स्थिति है । उद्योग विभाग विकास शुल्क तो लेता है पर इन क्षेत्रों के रख-रखाव की चिंता नहीं करता । पूरे प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र दुर्दशा से ग्रस्त है जबकि इनमें सबसे ज्यादा सूक्ष्म लघु उद्योग संचालित है ।

काश्यप ने सरकार पर आवास समस्या की अनदेखी करने का भी आरोप लगाया । सरकार शहरी क्षेत्रों में ढाई लाख रूपये और 450 फुट का जमीन का पट्टा दे रही है, पर मूलभूत सुविधायें उपलब्ध कराने की दिशा में कोई काम नहीं कर रही है । इनके रहवासी सड़क, पानी और बिजली की समस्या से जूझ रहे हैं । उन्होनें रतलाम की उपेक्षा करने पर भी सरकार को कटघरे में खड़ा किया । प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत रतलाम के लिए 3442 आवास  मंजूर हुये थे । केन्द्र सरकार ने अपने हिस्से की राशि भी राज्य सरकार को अक्टूबर 2018 में दे दी थी । पर राज्य सरकार ने अभी तक यह राशि हितग्राहियों को नहीं दी है । पूर्ववर्ती शिवराज सरकार द्वारा प्रदेश की 6500 अवैध कालोनियों को वैध किया गया था लेकिन वर्तमान सरकार द्वारा  ठीक से पैरवी नहीं करने के कारण हाईकोर्ट ने इन सभी कालोनियों को फिर से अवैध घोषित कर दिया है । सरकार ने इन कालोनियों को फिर से वैध करने की दिशा में अभी तक कोई  ठोस कदम नहीं उठाया है । जिससे विषम स्थिति बन गई है और इन कालोनियों में रहने वाले सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है ।

कुपोषण के मामले में भी सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुये काश्यप ने कहा कि रतलाम में 2300 बच्चे कुपोषित थे । उन्होनें स्वयं के खर्चे पर इन बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने का बीड़ा उठाया है । अपने परिवार के ट्रस्ट के माध्यम से छह माह तक अभियान चलाया और 2300 में से 1100 बच्चों को कुपोषण से मुक्त कर दिया । शेष बच्चों को भी वे कुपोषण से मुक्त कराना चाहते हैं पर नई सरकार बनने के साथ ही कलेक्टर ने इस अभियान पर रोक लगा दी । कलेक्टर का कहना है कि इस अभियान के लिये सरकार से निर्देश प्राप्त करना पड़ेंगे। काश्यप ने कहा कि जब वे स्वयं के खर्चे पर कुपोषण के खिलाफ अभियान चला रहे हैं तो फिर सरकार के निर्देश की क्या आवश्यकता ? 

काश्यप जब सदन में कुपोषण के खिलाफ अभियान की चर्चा कर रहे थे तो सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने मेजे थपथपाकर उनका उत्साहवर्धन किया। 

खेल और युवा कल्याण तथा उद्यानिकी विभाग के बजट में कटौती पर भी काश्यप ने ऐतराज किया और कहा कि सरकार कथनी और करनी में फर्क कर रही है । उद्यानिकी का बजट 1500 से घटाकर 1000 करोड़ और खेल एवं युवा कल्याण का बजट 224 करोड़ से कम कर 200 करोड़ कर दिया है । ऐसे में इन क्षेत्रों का विकास कैसे हो पायेगा ?