सर पर मंडराता खतरा और जिम्मेदार बने बेखबर और लापरवाह, जानिए क्या है मामला?

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News By – विवेक चौधरी (रतलाम ब्यूरों प्रमुख)

(www.newsindia365.com रतलाम। जब सर पर मौत का खतरा मंडरा रहा हो और जिम्मेदार बेखौफ, बेख़बर और लापरवाह बनकर बैठे हो तो गंभीर हादसे के लिए उल्टी गिनती गिनने के सिवाय कोई उपाय नही रह जाता है। अगर भ्रष्टाचार, गैर जिम्मेदारी, और लापरवाही की संयुक्त विशेषता वाले किसी विभाग का नाम पूछा जाए तो सबसे पहले रतलाम नगरनिगम का नाम आ सकता है। जिसका एकमेव लक्ष्य जनता की जरूरतों को अनसुनी और अनदेखी करना ही लगता है। नगर के जर्जर भवनों को गिराने का कार्य नगर निगम का है। और जबतक वहाँ के रसूखदारों के निजी हित नहीं होते है तबतक किसी जर्जर भवन पर उनकी निगाहें भी नहीं जाती है। ऐसे में दूसरों के भवन की गुणवत्ता पर उपदेश बाँटने वाली रतलाम नगरनिगम को अपने भी भवनों की चिंता ही नहीं है। किसी समस्या पर ‘एक्शन’ लेने की जगह ‘रिएक्शन’ (दुर्घटना घटने पर कार्यवाही करने की प्रवृत्ति) की प्रतीक्षा में बैठी रहती हमारी अपनी रतलाम नगरनिगम।

न्यूरोड स्थित नगरनिगम की दुकानों की जर्जर स्थिति से निगम और सभी वाकिफ है। जिसकी ना तो निगम से स्वयं मरम्मत की और ना ही दुकानदारों को उनके खर्च पर करवाने दी। शायद अगर दुकानदार स्वयं अपने खर्च पर करवाते तो ठेकेदारों से कमीशन लेने की परंपरा पर भारी नुकसान हो जाता। यदि दुर्घटना वाले दिन रविवार ना होता तो शायद हादसा बड़ा हो सकता था। यह वही जगह है जहां राखी, फ्रेंडशिप डे, नवरात्रि, दीवाली, क्रिसमस इत्यादि त्योहारों पर दुकानें सजती और भीड़ लगी रहती है। यदि ऐसे में कोई दुर्घटना हो जाती तो इसका जिम्मेदार कौन होता? इन दुकानों में काम करने वाले दुकानदारों, कर्मचारियों और ग्राहकों के मन का भय अब कैसे दूर होगा? आखिर कब इन दुकानों की मरम्मत होगी? इस घटना के बाद और कोई दुर्घटना नहीं होगी इसकी क्या ग्यारेन्टी है? प्रश्नों की सूची लंबी है जनाब और शहर में निजी और सरकारी जर्जर भवनों की भी। लेकिन जब जिम्मेदार ही सोए पड़े हो, जनप्रतिनिधियों को चिंता ही नहीं हो और प्रशासन की प्राथमिकता में ये समस्याएं नहीं हो तो शायद जनता का मालिक बनने से तो भगवान भी घबराएगा। गणेश पर्व पर विघ्नहर्ता से प्रार्थना है कि वे रतलाम की जनता के विघ्नों का संहार करें तथा जनता के जान और माल की रक्षा करें।