रतलाम। अक्सर दुर्घटनाओं से जिम्मेदार सबक लेते है और भविष्य में पुनरावृत्ति ना हो उसके लिए कमर भी कस लेते हैं। लेकिन यदि लंबे समय से आगाह किये जाने के बावजूद अगर कोई जिम्मेदार ध्यान ना दे और दुर्घटना घट जाए तो उसे आप क्या कहेंगे? क्या आप उसे रतलाम प्रशासन कह सकते है? यह पाठकों के विवेक पर छोड़ दिया जाना ही उचित रहेगा, इस खबर को पढ़ने के बाद यह तय करें। अनेक बार ध्यान आकर्षित किये जाने के बाद भी रतलाम के जिम्मेदार आला अधिकारी ना जाने क्यों इस मुद्दे पर आँख और कान बन्द करके बैठे है? किसी जमाने का स्टेट हाईवे जो कि संभवतः 100 फ़ीट चौड़ा रहा होगा आज मात्र 20 फ़ीट का बचा है लेकिन किसी जिम्मेदार ने इस पर कार्यवाही करने की हिम्मत ही नहीं जुटाई। दबंग प्रशासन ने कही किसी गली में घुसकर किसी भवन के हिस्से को MOS के नाम पर ढहा दिया गया और पच्चीस पचासों को नोटिस थमा दिया गया। लेकिन जो मुख्य मार्ग पर है उसे अनदेखा कर दिया। सैलाना रोड पर सज्जन मिल के बाहर दुकान वालों को नोटिस दे दिए गए लेकिन जावरा रोड पर अतिक्रमण की अनदेखी होती रही।
मामले को कुछ इस प्रकार समझने का प्रयास किया जा सकता है कि बुधवार की रात ढाई बजे के आसपास रतलाम के जावरा रोड पर घटला ब्रिज से लगभग 100-150 मीटर आगे शिव शंकर कॉलोनी क्षेत्र में क्यू ट्रैक ब्रिज प्रारंभ होने वाली जगह के पास एक तेज रफ्तार कार अनियंत्रित होकर पलट गई। कार रेलिंग, पेड़ और पिलर से टकराते हुए साइड में बने झुग्गी झोपड़ी के पास पलटी खाकर गिर गई । खुशनसीबी यह रही कि दुर्घटना में कोई जनहानि नहीं हुई। अन्यथा दुर्घटना स्थल पर कई सारे कच्चे मकान है जिस पर कार के गिरने अथवा टकराने से बड़ा हादसा भी हो सकता था। फिलहाल कार सवार लोगो के बारे में अभी कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल सकी है लेकिन दुर्घटना स्थल के 100-150 मीटर पहले और बाद में सैकड़ो अवैध अतिक्रमण कर बनाये गए मकान है। और ये अवैध कब्जा एक दिन में नहीं हुआ है। लंबे समय मे धीरे धीरे बढ़ता चला गया और किसी जिम्मेदार ने इस पर ध्यान देने की जहमत ही नहीं उठाई। नगर निगम के पानी के टैंकर सुबह के समय जब यहाँ आते है तो अघोषित चक्काजाम की स्थिति निर्मित हो जाती है। किसी समय यह स्टेट हाईवे था, जिसकी आज अतिक्रमण से यह दुर्दशा हो गई है। सड़क पर गड्ढे भी है। जहाँ इंदौर रोड, सैलाना रोड फोरलेन में बदल दिए गए है एवं बाजना रोड पर काम चल रहा। उस दशा में पर्याप्त जगह होने के बाद भी जावरा रोड पर फोरलेन बनाने के लिए किसी आलाधिकारी, जनप्रतिनिधि इत्यादि की सुधि ना लेना, आश्चर्यजनक के साथ साथ निराशाजनक भी है। प्रशासन तो शायद किसी भीषण दुर्घटना की प्रतीक्षा कर रहा है जिसके बाद कोई “कठोर और जिम्मेदारी भरा कदम” उठाया जाएगा। और यहाँ कुछ सुधार हो?