Yes Bank को भारत ने कहा NO : इन बड़ी कंपनियों को दिया था कर्ज, यस बैंक को तो डूबना ही था?

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पूंजी की कमी से जूझ रहे यस बैंक पर आए संकट के समाधान की प्रक्रिया तेज हो गई हैं। जहां शेयर बाजार ने गोता खाया, वहीं वित्तमंत्री ने शुक्रवार को आगे आकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि लोगों का पैसा पूरी तरह सुरक्षित है और रिजर्व बैंक इस समस्या का समाधान जल्द से जल्द निकालने पर काम कर रहा है। अब सवाल यह है कि आखिर बैंक पर संकट के बादल छाने के पीछे की वजह क्या है।

संकट की वजह हैं ये कंपनियां
वित्त मंत्री ने भले ही लोगों का पैसा नहीं डूबने देने की बात कही है। परंतु यस बैंक ने जिन कंपनियों को कर्ज दिया वो या तो डूब गईं या फिर संकटग्रस्त हो गईं। ऐसे में कर्ज की वापसी रुकने से बैंक पर संकट के बादल छा गए।

इस संकट के पीछे कर्ज ना लौटाने और डूब जाने वाली कंपनियों में कैफे कॉफी डे, जेट एयरवेज, वोडाफोन, अनिल अंबानी समूह, एस्सेल, डीएचएफएल, आईएलएफएस उन संकटग्रस्त कंपनियों में शामिल हैं। इन सभी को यस बैंक ने कर्ज दिया था। इन सभी कंपनियों में से कुछ पूरी तरह से डूब चुकी हैं और कुछ संकटग्रस्त हैं।

उदाहरण के लिए बात करें तो जेट एयरवेज बीते साल ही डूब चुकी है। आइडिया ग्रुप के साथ मिलकर टेलीकॉम सेवा प्रदान करने वाली कंपनी वोडाफोन पिछले दिनों एजीआर भुगतान को लेकर चर्चा में रही थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने खासी नाराजगी जताई थी और 12 बजे रात तक भुगतान करने के निर्देश दिए थे।

बता दें कि उस समय वोडाफोन आइडिया पर 53,000 करोड़ रुपये बकाया बताया गया था। खस्ताहालत जेट एयरवेज ने उड़ानें बंद कर दी थीं। कैफे कॉफी डे भी यस बैंक की कर्जदार है और इसके मालिक वीजी सिद्धार्थ ने बीते साल आत्महत्या कर ली थी। 

फिलहाल बैंक कर्मचारियों की नौकरी सुरक्षित

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने यह भी कहा, यस बैंक के कर्मचारियों की नौकरी और उनका वेतन एक साल तक के लिए सुरक्षित रहेगा। वहीं, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि संकट में फंसे यस बैंक का समाधान जल्द से जल्द निकाल लिया जाएगा। इसके लिए तय की गई 30 दिन की सीमा अधिकतम है।

यस बैंक पर लगा था एक करोड़ का जुर्माना
निर्मला सीतारमण ने कहा, ऐसा नहीं है कि यस बैंक का मसला अभी उठा है। 2017 से आरबीआई यस बैंक पर नजर रखे हुए था। 2018 में केंद्रीय बैंक ने यस बैंक में गड़बड़ी की पहचान कर ली थी, जबकि 2019 में यस बैंक पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। उन्होंने कहा, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने यस बैंक में दिलचस्पी दिखाई है। 

2014 से पहले ऐसी कंपनियों को दिए गए लोन, जिनकी हालत खस्ता
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी बताया कि यस बैंक द्वारा नियमों का पालन नहीं किया जा रहा था। बैंक ने जोखिम भरे क्रेडिट निर्णय लिए थे। मैंने पहले भी कहा है कि हम किसी भी संस्था को डूबने नहीं देंगे। 2014 के पहले से ही यस बैंक की ओर से ऐसी कंपनियों को लोन दिए गए थे, जिनकी वित्तीय हालत अच्छी नहीं थी।

यस बैंक ने अनिल अंबानी, एसेल ग्रुप, इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (आईएलएफएस),  दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) और वोडाफोन जैसी कंपनियों को लोन दिया जो डिफॉल्ट हुए हैं।

जिम्मेदार लोगों की होगी पहचान
उन्होंने कहा, मैंने आरबीआई से बैंक के इस संकट की वजह पता लगाने को कहा है। साथ ही समस्या के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार लोगों की पहचान करने को भी कहा है। नकदी संकट पर उन्होंने कहा, वह आरबीआई से बात करेंगी कि यस बैंक के जमाकर्ताओं को नकदी की समस्या का सामना न करना पडे़।

बैंक डूबा तो सुरक्षित रहेंगे 5 लाख रुपये
अब कोई बैंक डूबने की स्थिति में खाताधारक को 5 लाख रुपये तक की गारंटी मिलती है। संकटग्रस्त बैंकों के मामलों को देखते हुए सरकार ने हाल बजट, 2020-21 में यह अहम फैसला लिया था। इसका मतलब है कि बैंक में आपके 5 लाख रुपये तक बिल्कुल सुरक्षित रहेंगे। सरकार ने हाल में बैंकों में पैसा जमा कराने वालों के लिए बीमा कवर एक लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया है। बजट से पहले तक यह सीमा एक लाख रुपये थी।