कोरोना वायरस से संक्रमित गंभीर मामलों में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन (एचसीक्यू) दवा का असर हो रहा है लेकिन इस दवा के दुष्प्रभाव भी काफी हैं। इन्हीं प्रभावों को जानने के लिए इन दिनों दिल्ली एम्स में दो अध्ययन भी चल रहे हैं।हालांकि कुछ अस्पतालों से स्वास्थ्य कर्मचारियों ने दवा लेने के बाद उसके दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी दी है। इन कर्मचारियों की औसत आयु 35 वर्ष है।
साथ ही इनमें से 22 फीसदी स्वास्थ्य कर्मचारी डायबिटीज, हाइपरटेंशन या दिल इत्यादि की बीमारी से ग्रस्त हैं। इन्होंने जब दवा का सेवन किया तो 10 फीसदी स्वास्थ्य कर्मचारियों को पेट में दर्द की शिकायत हुई है। जबकि 6 फीसदी को उल्टी व घबराहट इत्यादि की परेशानी देखने को मिली है।
साथ ही ये भी पता चला है कि इनमें से 14 फीसदी स्वास्थ्य कर्मचारियों ने ईसीजी नहीं कराई। जबकि एचसीक्यू का दुष्प्रभाव दिल पर होता है। शनिवार को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के मुख्य महामारी विशेष डॉ. रमन आर गंगाखेड़कर ने बताया कि एचसीक्यू दवा पर अध्ययन होने वाला था लेकिन लॉकडाउन के चलते फिलहाल यह संभव नहीं हो सका है।
इस अध्ययन के लिए आठ सप्ताह में 480 मरीजों को शामिल करना था। हालांकि आईसीएमआर ने इसके विकल्प में एक और अध्ययन करने का फैसला किया है। दिल्ली एम्स में इस समय दो अध्ययन भी चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने दवा लेने के बाद पेट में दर्द होने की शिकायत की है।
अभी तक यह पता चला है कि 22 फीसदी स्वास्थ्य कर्मचारियों ने अपनी पहले से चली आ रही बीमारियों के डर से एचसीक्यू दवा का सेवन किया होगा। डॉ. गंगाखेड़कर का कहना है कि इस वक्त डर के चलते स्वास्थ्य कर्मचारी दवा लेने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि उन्हें इसकी जरूरत नहीं है। कुछ स्वास्थ्य कर्मचारी जो सीधे तौर पर कोविड से नहीं लड़ रहे हैं वह भी इसका सेवन कर रहे हैं।
साभार – अमर उजाला
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