News By – नीरज बरमेचा (Chief Editor)
• मेडिकल कालेज के डॉक्टर्स प्राइवेट प्रेक्टिस ना करें – जनप्रतिनिधि
• आखिर कहाँ गए शहर के लगभग 200 से अधिक सरकारी चिकित्सक?
• वेतन सरकारी लेकिन काम निजी?
• निजी अस्पतालों ले लिए काम कर रहे है सरकारी चिकित्सक?
• आला अधिकारियों की देखकर भी अनदेखी?
रतलाम। जिला संकट प्रबंधन समिति की शनिवार को कलेक्टोरेट में हुई बैठक में रतलाम शहर विधायक चैतन्य काश्यप एवं जावरा विधायक डॉ राजेंद्र पांडे ने सैंपल पॉजिटिव पाए गए व्यक्ति के साथ मानवीय व्यवहार हो, यह सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने कहा कि जिस पॉजिटिव व्यक्ति को आइसोलेट किया जाता है उसको अस्पताल पहुंचने के पूर्व, तैयारी हेतु कुछ समय अवश्य दिया जाए ताकि वह जरूरी सामग्री अपने साथ रख सके। काश्यप तथा पांडे ने मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित को यह सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए कि मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करें, उनकी सेवाओं का बेहतर उपयोग जिले के आमजन के हित में किया जाए|
लेकिन जानिए आखिर सच क्या है?
जिला चिकित्सालय एवं मेडिकल कॉलेज लगभग 200 से अधिक चिकित्सक रतलाम में अपनी कार्यरत है| लेकिन अब सवाल यह आता है कि यह चिकित्सक क्या किसी आम आदमी के लिए कार्यरत है या निजी हॉस्पिटल के लिए? कुछ(जिनकी मात्रा बहुत कम है) चिकित्सकों को छोड़ दिया जाए तो रतलाम जिले के कोरोना का भार आयुष चिकित्सक संभल रहे है| कन्टेन्टमेंट क्षेत्र बनाना हो या फिर COVID-19 का डॉक्यूमेंटेशन करना हो| फिर आखिर कहाँ गए शहर के लगभग 200 सरकारी चिकित्सक? जो अपने असली फर्ज निभाने के समय कहाँ अंतर्ध्यान हो गए है? लेकिन कोरोना वारियर का प्रमाण पत्र लेने एवं फोटो खिंचवातें समय प्रकट हो जाते है|
न्यूज़ इंडिया 365 से बातचीत में मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित ने बताया कि “शनिवार को जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन के साथ मीटिंग में GMC के चिकित्सको के निजी प्रैक्टिस को लेकर मामला सामने आया है, जिसके लिए सभी को सोमवार को पत्र जारी किया जायेगा, यदि उसके पश्चात कोई मामला सामने आया तो उस चिकित्सक के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी|”
बड़ा सवाल यह है कि क्या आला अधिकारीयों को GMC चिकित्सको के नाम वाले शहर भर में लग रहे बड़े बड़े बैनर, ग्लोसाइन बोर्ड दिखाई नहीं दे रहें हैं? या वो जानबूझकर देखना नहीं चाह रहे है| यदि ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब जिला चिकित्सालय से भी बदतर हालात रतलाम मेडिकल कॉलेज की हो जाएगी| क्योंकि जिस तरह जिला चिकित्सालय निजी हॉस्पिटल को रेफेर किये जाने की दुकान बन चूका है, वैसे ही मेडिकल कॉलेज को भी बनने से कोई नहीं रोक पायेगा| पूरे कोरोना काल में कहाँ गए सभी वरिष्ठ चिकित्सक? क्या कोई भी सरकारी सर्जन, मेडिसिन, महिला रोग विशेषज्ञ रतलाम में कार्यरत नहीं है? कोरोना के चलते कई बार ऐसे मामले सामने आये कि जिला चिकित्सालय एवं MCH हॉस्पिटल में बिना हाथ लगाये मरीजो को निजी अस्पतालों में भेज दिया गया और भेजने के बाद उन्ही चिकित्सको ने प्राइवेट हॉस्पिटल में जाकर मरीजो को देखा| लेकिन इससे किसे को क्या फर्क पड़ता है?
ऐसे चिकित्सको को शर्म आनी चाहिए जो बिना काम किये भी सरकारी खजाने से अपनी सैलरी निकाल रहे है और निजी अस्पतालों में बेख़ौफ़ होकर प्रैक्टिस कर रहे है| ऐसा नहीं है कि सभी चिकित्सक ऐसे है। लेकिन ऐसे चिकित्सको की तादात बहुत ज्यादा है जो सुबह 11 बजे से निजी प्रैक्टिस पर पहुँच जाते है। क्या यह बात किसी को पता नहीं है?
कुछ सेवाभावी चिकित्सको को न्यूज़ इंडिया 365 सलाम करता है जो रियल कोरोना योद्धा है, जिन्होंने अपने परिवारों को भूलकर कोरोना के खिलाफ युद्ध लड़ा|