GMC डॉक्टर!!! क्या जिनकी ‘दाढ़ी में था तिनका’ वो मिले 2 विधायकों से….

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News By – नीरज बरमेचा (Chief Editor) 

एक पुरानी मशहूर कहावत है कि “चोर की दाढ़ी में तिनका”। यह कहावत रतलाम के मेडिकल कॉलेज के कुछ चिकित्सकों पर फिट बैठती नज़र आ रही है। न्यूज़ इंडिया 365 की ख़बर पर असर होने से GMC डीन डॉ. संजय दीक्षित ने सभी चिकित्सको को एक पत्र दिया था, जिसमे शुद्ध हिंदी भाषा मे लिखा गया था कि,

“कुछ चिकित्सा शिक्षकों द्वारा नियमो के विरुद्ध निजी प्रैक्टिस की जा रही है, व नियमो का पालन नही करने के कारण विपरीत स्थिति निर्मित हो रही है।…….. नियमो का पालन नही करने की स्थिति में चिकित्सक के विरुद्ध कठोर एवं अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएंगी जिसके लिए वो स्वयं उत्तरदायी होंगे।”

इसे पत्र को भी रतलाम मेडिकल कॉलेज के कुछ एक्स्ट्रा ऑर्डनरी चिकित्सको ने हवा में ले लिया। और अपनी नेता गिरी दिखाने और निजी प्रैक्टिस को बचाने के लिए जिले के दो विधायकों से मुलाकात कर ली। सूत्रों की मानें तो जावरा विधायक डॉ. राजेन्द्र पांडेय एवं शहर विधायक चैतन्य काश्यप से किसी भाजपा के कार्यकर्ता को साथ ले जा कर अपनी निजी प्रैक्टिस बचाने की जी तोड़ कोशिश की, जो फिलहाल नाकाम रही।

अब सवाल यह उठता है कि जब कॉलेज के पत्र में साफ लिखा हुआ है कि नियम का पालन नही करने पर चिकित्सक के विरूद्ध कठोर कार्यवाही होगी, तो क्या ये चिकित्सक नियम में गली निकलने या किसी उपाय के लिए विधायकों से मिलने गए थे? यदि चिकित्सक नियम के साथ निजी प्रैक्टिस करें तो किसी को कोई समस्या नहीं है। लेकिन कुछ चिकित्सक सुबह अपना चेहरा मेडिकल कॉलेज में दिखा कर निजी प्रैक्टिस पर जाना, सरकारी कार्यालयीन समय में निजी हॉस्पिटल, क्लिनिक जाकर वहाँ पर OPD देखना, वहाँ ऑपरेशन करने जाना इत्यादि चाहते है और उसके लिए के लिए जनप्रतिनिधियों के दरवाजे पहुँचना कहाँ तक उचित है?

सरकारी तनख्वाह लेकर अपनी निजी प्रैक्टिस को तवज्जों देने से तो फिर हो गया रतलाम के मेडिकल कॉलेज का उद्धार? कुछ लोगो का इनमें बारे में कहना है कि ‘ऐसे चिकित्सको का बस नही चल रहा है। वरना ये तो मेडिकल कॉलेज के परिसर में ही अपना निजी हॉस्पिटल और प्रैक्टिस शुरू कर दे और आला अधिकारी सिर्फ पत्र पर पत्र देते रह जाएंगे।’

बड़ा प्रश्न यह है कि क्या रतलाम मेडिकल कॉलेज इसी दिशा की ओर अग्रसर हो रहा है? ऐसे चिकित्सकों को, जिनके लिए सब कुछ निजी प्रैक्टिस, निजी हॉस्पिटल और क्लिनिक ही है, उन्हें एक बार आत्मविश्लेषण अवश्य करना चाहिए।

19 जुलाई के एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र में मेडिकल कॉलेज के एक चिकित्सक का फोटो और समाचार पढ़ने को मिला। मेडिकल कॉलेज का चिकित्सक निजी में ऑपरेशन करते है और उसका विज्ञापन की मंशा के साथ समाचार प्रकाशित करवाते है। इस सब के बावजूद कॉलेज के आला अधिकारी हाथ पर हाथ रख कर बैठे रह जाते है।  

सूत्रों की माने तो आज की स्थिति में यदि कोई गर्भवती मरीज जिला चिकित्सालय के MCH यूनिट में किसी स्त्री एवं प्रसूति विशेषज्ञ को दिखाती है और बाद में, वही चिकित्सक मदर & चाइल्ड हॉस्पिटल (MCH) के सामने या किसी निजी अस्पताल में उसे बुला कर उससे अपनी निजी कमाई का मार्ग निकाल लेते है। और फिर किसी निजी चिकित्सालय में उस गर्भवती महिला की प्रसूति करवा दें। यहाँ प्रश्न यह भी है कि क्या यह सब रतलाम प्रशासन के आला अधिकारीयो को नही पता है?  

“शासकीय ड्यूटी के समय यदि कोई भी व्यक्ति निजी प्रैक्टिस करता है तो वो गलत है, बाकि जो शासन से नियम व शर्ते है उसका पालन करते हुए वो निजी प्रैक्टिस कर सकता है| और इस महामारी के दौर में सभी को कुछ अमूल्य आहुति देना चाहिए मानवता के नाते|”
डॉ. राजेश शर्मा – आइएमए अध्यक्ष रतलाम


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