स्पेशल रिपोर्ट – क्या होता यदि रतलाम मेडिकल कॉलेज ना होता?

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News By – नीरज बरमेचा (Chief Editor)

रतलाम। एक तरफ जहाँ भारत सहित पूरे विश्व के “कोरोना काल” लाखों लोगों के लिए काल बन कर आया है, वहीं इसके कई सकारात्मक बदलाव भी देखने को मिले है। मानवीय स्वभाव के अनुरूप नकारात्मक बातें जल्दी नज़र आती है लेकिन सकारात्मक पहलू को देखने के लिए दृष्टिकोण भी बदलना पड़ता है। मास्क, PPE किट, सेनेटाइजर, वेंटीलेटर, आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण उत्पादन में बढ़ोत्तरी आदि के साथ बहुत सारी अन्य बातें भी है। लेकिन यहाँ रतलाम की बात करें तो एक प्रश्न मन मे जरूर आता है कि यदि आज रतलाम में शासकीय मेडिकल कॉलेज नहीं होता तो क्या होता?

कोरोना का रोना

हर सिक्के के दो पहलू होते है और आज अगर सकारात्मक पहलू की बात करें तो पिछले 8 माह से देश विदेश सहित रतलाम में भी “कोरोना का रोना” चल रहा है। लेकिन इस कठिन समय में किसने किसकी क्या मदद की, शासन प्रशासन की कितनी उचित व्यवस्था रही, मौके पर क्या हुआ और क्या और अच्छा किया जा सकता था? इत्यादि विचारणीय प्रश्न है। रतलाम में निजी क्षेत्र के चिकित्सालयों की क्या भूमिका रही, वो कैसे मदद कर सकते थे? यह प्रश्न भी उठेंगे। आजकल अखबारों में बड़े शहरों के अस्पतालों में कोविड मरीजों के उपचार बिल को लेकर दशहत है। ये पहले भी थी लेकिन बढ़ती संक्रमण संख्या ने चिंता बढ़ा दी है। कोविड के कठिन दौर से गुजरे कई लोगो से चर्चा की तो यह बात जरूर सामने आई कि यदि आज रतलाम में शासकीय मेडिकल कॉलेज नहीं होता तो क्या होता?

बिना मेडिसीन के बड़े शहरो में चल रहा है, कोरोना के नाम पर धंधा… 

इंदौर से तुलना करें तो रतलाम शहर वासियों के लिए एक अच्छी बात यह है कि यहाँ कोई भी निजी अस्पताल कोविड-19 के नाम पर धंधा नहीं कर रहा है। अधिकांश जगहों पर भी सामान्य गंभीर मरीज को भी उपचार ना मिलने के गंभीर आरोप है। यहाँ तक कि GMC से कोविड नेगेटिव मरीजों को भी परेशान होना पड़ा। प्रश्न फिर खड़ा है कि चिकित्सा सेवा है या शुद्ध व्यवसाय? इंदौर, भोपाल, दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरो में लाखो रुपयों की चपत मरीजो को कोरोना के नाम पर लगाई जा रही है, लेकिन कोई विकल्प ही नहीं है। परिजन अपना सब कुछ दाव पर लगा कर मरीज को बचाने के लिए लग जाते है। लेकिन यह शायद कुछ लोगों को ही पता होता है कि उपचार क्या और कैसे हो रहा है? इस संदर्भ में इंदौर जिलाधीश ने परिस्थितियो को देखते हुए कई सारे परिवर्तन निजी अस्पतालो के लिए किये है, जिससे अन्य जिलों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए। लेकिन किसी को क्या चिंता? यह यक्ष प्रश्न है? अपनी ढपली अपना राग, अपनी रोटी अपना साग…

आखिर किसने सुलझाया MCI द्वारा मान्यता रद्द करने वाला पेंच..

रतलाम मेडिकल कॉलेज, जो वर्तमान में रतलाम एवं कुछ मामलों में मंदसौर और नीमच के लिए कोविड उपचार केंद्र है, के लिए रतलाम शहर विधायक के प्रयास सराहनीय रहें है। यदि वे एम सी आई के पुनः निरीक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर नहीं करते तो शायद रतलाम को मेडिकल एक दो वर्ष बाद मिलता। पहली बार जब एम सी आई की टीम रतलाम मेडिकल कॉलेज में निरीक्षण के लिए आई तो कुछ मामूली त्रुटियों की वजह से उन्होंने मान्यता देने से इंकार कर दिया था। उस समय शहर विधायक काश्यप ने तुरंत एक्शन लेकर प्राथमिकता से इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई और 15 दिन के पश्चात एम सी आई की टीम पुनः निरीक्षण के लिए रतलाम शासकीय मेडिकल कॉलेज आई और उसे मान्यता दी। अब यह कॉलेज रतलाम एवं अंचल के लिए एक सौगात की तरह प्रतीत होता है। यदि सब ठीक रहा तो…

कौन कर रहा है रतलाम मेडिकल कॉलेज की छवि धूमिल?

लेकिन आज एक दुखद पहलू यह भी है कि सिर्फ कुछ गिने चुने चिकत्सको के निजी प्रैक्टिस के मोह के कारण मेडिकल कॉलेज की छवि धूमिल हो रही है। ये वो चिकित्सक है जो सिर्फ खानापूर्ति जितनी नौकरी कर रहे है लेकिन उनका मुख्य लक्ष्य निजी अस्पतालो से हो रही आय पर है। जिला चिकित्सालय, MCH हॉस्पिटल के साथ साथ मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों पर भी रेफेर की दुकान चलाने का गंभीर आरोप रहे है। कुछ चिकित्सकों के कारण आज इस मेडिकल कॉलेज पर सवाल खड़े हो रहें है। बड़ा प्रश्न यह है कि या तो आला अधिकारी इन सब समस्याओ को हल्के में ले रहे है, असहाय है अथवा सब कुछ मिली भगत के साथ स्क्रिप्ट के अनुसार ही हो रहा है? कॉलेज एवं जिला प्रशासन के लिए भी बड़ा सवाल है कि वे इसके लिए क्या प्रयास कर रहे है? कोविड के शिकार बने मरीजों एवं मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था के जानकार सूत्रों की राय में अगर ये सरकारी चिकित्सक निजी अस्पतालों में जिस प्रकार अपनी सेवाएं देते है उसका 50% भी प्रयास यदि जिले के शासकीय मेडिकल कॉलेज के लिए करें तो रतलाम का यह मेडिकल कॉलेज अंचल में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण प्रदेश में अपनी छाप छोड़ जायेंगा। समय बताएगा कि क्या यह सच होगा या सपना बनकर रह जायेगा?


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