News By – विवेक चौधरी
रतलाम, 11 सितंबर 2020। देश मे इस समय कोरोना संक्रमण प्रसार पूरी रफ्तार से दौड़ रहा है। रतलाम जिला भी इससे अछूता नहीं रहा है। सितंबर माह के पहले 10 दिन का लेखा जोखा इस बात की तरफ इशारा कर रहा है कि मामला गंभीर है, लेकिन शायद हम ही इसे गंभीरता से नहीं ले रहे है। आँकड़ों पर निगाहें डाले तो सितंबर माह के पहले 10 दिनों में रतलाम जिले में 2907 कोरोना सैंपल की जाँच की गई है। इतने ही दिनों में 358 नए कोरोना पॉजिटिव मरीजों के मामले सामने आए है। यानि औसतन 35 से अधिक नए पॉजिटिव प्रतिदिन। इन 10 दिनों में 235 मरीज स्वस्थ होकर डिस्चार्ज किये गए है लेकिन दुर्भाग्य से 10 दिन में 9 मरीज कोरोना से जंग में अपनी जिंदगी हार गए है। 10 दिन में 9 मृत्यु हम सभी के लिए एक खतरे की घंटी के समान है, जिसे सुनना और सुरक्षा उपाय करना अत्यावश्यक हैं। कल रात तक जिले के कुल पॉजिटिव मरीजो का आँकड़ा 1313 है और कुल 28 पॉजिटिव मरीजों की मौत हुई है।
जिले के नवागत कलेक्टर एवं प्रशासन अपने स्तर पर प्रयास कर रहें है। जिले के कोविड उपचार केंद्र मेडिकल कॉलेज का भ्रमण, कंट्रोल रूम निरीक्षण, चिकित्सा से शासकीय एवं निजी व्यक्तियों के साथ बैठक, आदेश, निर्देश, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौर चल रहे है। निजी चिकित्सकों, चिकित्सालयों आदि की मदद लेने की भी बात चल रही है। बहरहाल इसी बीच अव्यवस्थाओं की खबरें और आरोप भी सामने आए है। लेकिन इस विकट घड़ी में मात्र शासन प्रशासन के भरोसे बैठना खतरे से खाली नहीं है। व्यक्तिगत सावधानी और सुरक्षा हमारे अपने हाथों में ही है। हाथों को नियमित रूप से सेनेटाइज करने या साबुन से धोने, मास्क पहनने और भीड़ से बचने को इस वक्त जीवन रक्षक कार्य समझना चाहिए। मैं स्वस्थ हूँ, इम्युनिटी अच्छी है, यह मानकर बेफिक्र ना होइए। हो सकता है कि यह जानलेवा कोरोना वायरस आपका कुछ बिगाड़ ना पाए लेकिन आपके माध्यम से आपके घर परिवार या परिचितों तक पहुँच जाए। अगर परिवार में किसी की इम्युनिटी कमजोर हो तो यह खतरे से खाली नहीं होगा। रविवारीय लॉक डाउन खुलने का अर्थ पिकनिक स्पॉट और गार्डन में भीड़ करना नहीं है। जिम्मेदार बनें और दूसरों को जागरूक बनाएं। स्वास्थ्यवर्धक भोजन आहार लें। पूर्ण विश्राम करें और अनावश्यक बाहर ना निकलें। न्यूज़ इण्डिया 365 सभी पाठकों से आग्रह करता है कि कोरोना की इस जंग में उनके योगदान के बिना कुछ भी संभव नहीं है। अपनी सुरक्षा की चिंता स्वयं को ही करनी होगी। विशेषकर अपने परिवार के बच्चों एवं बुजुर्गों की चिंता आपको हमको ही करना है।