News By – नीरज बरमेचा
रतलाम 11 सितम्बर 2020/ जलवायु परिवर्तन का मानव स्वास्थ्य पर एकाधिक तरीकों से विपरीत प्रभाव होता है। निरंतर औद्योगिकीकरण एवं शहरीकरण और बदली हुई जीवनशैली जिसमें निरंतर उर्जा की खपत होती है, ग्लोबल वार्मिंग को बढावा दे रहा है। सीएमएचओ डा. प्रभाकर ननावरे ने बताया कि जलवायु परिवर्तन से अस्थमा एवं श्वसन संबंधी बीमारियां, कैंसर कार्डियोवास्कुलर बीमारियां, स्ट्रोक खाद्य जनित बीमारियां, मानसिक स्वास्थ्य एवं स्ट्रेस संबंधी बीमारियां, न्यूरोलॉजिकल बीमारियां, झूनोटिक बीमारियां, जलजनित बीमारियां, मौसम संबंधी बीमारियां एवं मृत्यु के प्रकरण परिलक्षित हो रहे हैं। वायु प्रदूषण हवा में ठोस कणों तरल बिन्दु या गैस के रूप में मौजूद कणों के कारण होता है। ये प्राकृतिक या कृत्रिम हो सकते हैं। अति सूक्ष्म कण नासिका या मुंह द्वारा श्वसन के दौरान फेफडों तक पहुंचते हैं। जहां से रक्त की धमनियों में प्रवेश कर शरीर के विभिन्न भागों में पहुचते हैं तथा दिल फेफडे दिमाग आदि को हानि पहुंचाते हैं।
नोडल अधिकारी डॉ. जी.आर. गौड ने बताया कि प्रदूषित हवा मानव स्वास्थ्य के लिए बडा खतरा है इससे बचाव के लिए ज्यादा प्रदूषित जगहों पर ना जाएं। घरों के दरवाजे व खिडकी सुबह शाम बंद रखें। जरूरत पडने पर ही घर से बाहर निकलें। ऑंखों में जलन, सॉस की तकलीफ या खांसी होने पर डाक्टर को दिखाए। दिल फेफडें व अन्य गंभीर बीमारी के मरीज का विशेष ध्यान रखें। पटाखे, कूडा, पत्तियां आदि ना जलाए। प्लास्टिक बिल्कुल ना जलाए। बीडी सिगरेट का प्रयोग ना करें और दूसरों को ना करने दें। खाना पकाने एवं घर को गर्म करने के लिए धुंआ रहित ईंधन का प्रयोग करें। हरियाली रखें, अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें, यथासंभव घर में किचन गार्डन बनाए। वायु प्रदूषण से उच्च जोखिम वर्ग के लोग 65 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्ग, 5 वर्ष से कम आयु के बच्चे, गर्भवती महिलाएं , श्वांस एवं हदय संबंधी बीमारी के मरीज अधिक वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों में कार्यरत यातायातकर्मी, पुलिसकर्मी, मजदूर सफाईकर्मी, ऑटो रिक्शा चालक, सडक किनारे दुकानदार, ठेले वाले आदि हैं।