News By – विवेक चौधरी
मध्यप्रदेश में नवगठित कांग्रेस सरकार द्वारा कर्जमाफी को लेकर किसानों के साथ वादाखिलाफी एवं धोखा देने के मामले को लेकर भाजपा 9 मार्च को कलेक्टोरेट का घेराव करेगी। भाजपा का आरोप है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा अब तक बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता नहीं दिया है। इसके अलावा प्रधानमंत्री समृद्धि योजना के लिए किसानों की सूची नहीं भेजी है, जिससे किसानों के खातों में 6 हजार रुपए की राशि ट्रांसफर नहीं हो पा रही है। वहीं कर्जमाफी के नाम पर किसानों के साथ धोखा किया जा रहा है। इन सभी मुद्दों को लेकर भाजपा द्वारा 9 मार्च को कलेक्टोरेट का घेराव रखा गया है। लेकिन इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 9 मार्च को माह का दूसरा शनिवार है और इस दिन सभी कलेक्टर कार्यालय शासकीय अवकाश होने की वजह से बंद रहेंगे। फिर प्रश्न यह है कि क्या भाजपा बन्द कार्यालयों के घेराव करेगी?
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि कई बार सरकार से किसानों की कर्जमाफी जैसे वादों पर अमल करने का आग्रह किया, लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनकी सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। प्रदेश सरकार की हर घोषणा झूठी साबित हुई है और इस सरकार ने समाज के हर वर्ग के साथ धोखाधड़ी की है। नागरिकों की उपेक्षा कर रही है। इसे भाजपा बर्दाश्त नहीं करेगी। इस रवैये का विरोध किया जाएगा। दो महीने बीत गए हैं, लेकिन ऐसा कोई किसान ढूंढने से भी नहीं मिला, जिसका पूरा दो लाख का कर्ज माफ हुआ हो। दिखावे के तौर पर सरकार ने किसी किसान के खाते में 10 तो किसी के खाते में 20 हजार रुपए डाले हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार बड़े बड़े विज्ञापन एवं आयोजन करके किसान एवं नागरिक हित के दावे कर रही है लेकिन सच्चाई यह है कि यह मात्र घोषणाएं ही है जिन्हें अमल में लाना टेढ़ी खीर है। किसान कर्ज माफी को लेकर अभी भी स्थिति अस्पष्ट है। कालातीत कर्ज़ वालो के लिए 2 लाख की बात कही जा रही हैं। लेकिन नियमित ऋणी किसानों को अधिकतम 49,999/- रुपये राहत की बात सामने आ रही है। वर्तमान में राज्य सरकार प्रत्येक तहसील में आयोजन कर किसान ऋण माफी के प्रमाण पत्र वितरित कर रही है। प्रत्येक आयोजन के लिए 10 लाख रुपये तक खर्च की राशि स्वीकृत की गई है। प्रदेश के लगभग 375 से अधिक तहसीलों में खर्च होने वाली करोड़ो रुपयों की राशि यदि किसानों के हित में या कर्ज़ माफी में खर्च होती तो यह कृषि क्षेत्र के लिए ज्यादा हितकारी होता। देखना होगा कि यदि यही हाल रहा तो कहीं किसान कर्ज माफी का दाँव कॉंग्रेस सरकार को उल्टा ना पड़ जाए।