शहर में गड्ढे या शहर गड्ढे में?? क्या नगर निगम का काया कल्प होगा??

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News By – विवेक चौधरी

रतलाम, 26 अगस्त 2020। विगत दिनों शहर में दो बड़े प्रशासनिक फेरबदल हुए थे। पहला फेरबदल में पुराने नगरनिगम आयुक्त एस के सिंह की जगह “पुराने वाले आयुक्त” सोमनाथ झरिया ने पदभार ग्रहण किया। सोमनाथ झरिया पहले भी नगर निगम आयुक्त रह चुके है। वे शहर की व्यवस्था से सुपरिचित है। इसलिए इस बात की प्रबल संभावना है कि वे “चाहें तो..” शहर में पसरी अव्यवस्थाओं की पटरी पर ले आएं। यहाँ “चाहे तो..” अपनेआप में सम्पूर्ण कहानी समेटे बैठा है। अपने आप को साबित करने का आयुक्त के पास स्वर्णिम अवसर है। पूरा शहर खुदा पड़ा है, जगह जगह गड्ढे हो रखें है। या आप यूं कह सकते है कि अधिकांश शहर ही गड्ढे में पड़ा है। बची हुई सड़को पर सब्ज़ी मंडियां लग रही है। सफाईकर्मी नदारद है, सो सफाई व्यवस्था पर भी प्रश्नचिन्ह है। इसी बीच सिटीजन फीडबैक पर शहर को पारितोषिक मिला। वैसे “फीडबैक” देने वाले “सिटीजन” की खोज जारी है।

दूसरे फेरबदल में जिले को नया मुखिया मिला। पुरानी जिलाधिकारी रुचिका चौहान की जगह “नए” कलेक्टर के रूप में गोपालचंद्र डाड ने पदभार ग्रहण किया। “नए साहब” भी रतलाम के लिए “पुराने” है। इनके आगमन की घोषणा पर शहर के कई लोग खुश हो गए। खुश होना लाजमी भी था क्योंकि वे पूर्व में SDM एवं नगरनिगम आयुक्त रह चुके है। शहर की तासीर और राजनीति से वाकिफ है। वैसे इतने दिनों में बहुत कुछ बदल चुका है। लेकिन गोपालचंद्र डाड के निगमायुक्त के रूप में पूर्व के कार्यकाल की वजह से शहरवासी इस बात से आशान्वित है कि शहर की व्यवस्थाएं चाकचौबंद हो जाएगी। क्योंकि वर्तमान के निगम प्रशासक और आयुक्त दोनों ही पूर्व में नगर निगम की कमान सम्भाल चुके है। इन दोनों अधिकारियों के जुगलबंदी से शहर अपने दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने को आतुर है, देखना दिलचस्प होगा कि यह जुगलबंदी क्या असर डालती है।