News by- नीरज बरमेचा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा महर्षि वाल्मीकी जयंति का उत्सव रतलाम के काटजू नगर में दो स्थानों सरस्वती शिशु मंदिर एवं शिव मंदिर बगीचे पर मनाया गया। कार्यक्रम में अनेक स्वयंसेवक और नगर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहें।इन कार्यक्रमों में क्रमशः जिला प्रचारक विजेंद्र जी व विभाग कार्यवाह आशुतोष जी के बौद्धिक हुऐ।
आशुतोष शर्मा ने अपने उद्बोधन में महर्षि वाल्मिकी जी के जीवन और विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुऐ बताया कि महर्षि वाल्मिकी भगवान राम के समकालीन थे, उन्होंने अपने ग्रंथ वाल्मिकी रामायण में अनेक ऐसे आश्चर्यजनक विषयों का चित्रण किया हैं, जिस पर बाद में वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों ने शोध किये। जैसे पृथ्वी की भौगोलिक स्थिति और क्षैत्रों का जैसे पृथ्वी के हिमोच्छादित ध्रुव, रेगीस्तान आदि उल्लेख जो रामायण काल में किया गया हैं, वो कालांतर में जाकर अक्षरक्ष: सत्य पाया गया, यहां तक कि महर्षि वाल्मीकी ने रामायण में औषधि शास्त्र का भी सटिक वर्णन किया हैं कि कौन सी वनस्पति या औषधि, किस रोग में उपयोगी होती हैं, विज्ञान के कई आधुनिक युगीन आविष्कारों के विषय में महर्षि वाल्मिकी ने उस युग में ही उल्लेख कर दिया था।
आशुतोष शर्मा ने अपने बौद्धिक में इस बात का विशेष उल्लेख किया कि महर्षि वाल्मीकी जैसे विद्वान संत जिन्होंने अपने जीवन काल में कभी झुठ नहीं बोला और जिन्हे सभी विषयों का इतना विस्तृत ज्ञान था, उनके विषय में कई प्रकार की मिथ्या भ्रांतियां रची गयी हैं जो सर्वदा असत्य हैं एवं प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवनकाल में एक बार भगवान वाल्मिकी जी द्वारा रचित “वाल्मिकी रामायण” का अध्ययन अवश्य करना चाहिए जिससे महर्षि भगवान वाल्मीकी के विषय में फैलाये गये मिथ्या विमर्ष को दुर किया जा सके।बौद्धिक विचार सम्प्रेषण व भगवान वाल्मीकी जी की पुजा अर्चना के पश्चात दुग्ध प्रसाद का वितरण भी किया गया ।