रतलाम नगर निगम आयुक्त की कार्यप्रणाली से जनता परेशान, जानिए आखिर क्यों?

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News By – नीरज बरमेचा

(www.newsindia365.com) नगर निगम आयुक्त की हठधर्मिता से जनता परेशान और प्रदेश सरकार व कांग्रेस पार्टी की छवि लगातार खराब हो रही है। मामला सफाई, सडक़ और पेयजल जैसी मुलभूत सुविधाओं से जुड़ा हो या संपत्तिकर व लोक निर्माण शाखा से जुड़ा हो हर जगह जनता परेशान होकर सरकारी व्यवस्था को कोस रही है। निगम आयुक्त ने हाल ही में आचार संहिता की आड़ लेकर पूर्व में स्वीकृत कार्यो को भी रोक दिया है। आयुक्त सीधे-सीधे कांग्रेस सरकार को बदनाम कर भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर काम कर रहे है।

उक्त आरोप वरिष्ठ पार्षद व शहर कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष शांतिलाल वर्मा,जेम्स चाकों, पार्षद रजनीकांत व्यास, चन्द्रप्रकाश पुरोहित, साबिर हुसैन, ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष कमरुद्दीन कछवाय आदि ने लगाते हुए बताया कि भीषण गर्मी का दौर शुरु हो चुका है और जनता पेयजल संकट से जूझ रही है। धोलावाड़ में पर्याप्त पानी होने के बावजूद आयुक्त एसकेसिंह व इनके संरक्षण में काम कर रहे अधिकारी कर्मचारी इस जल संकट का निदान करने की बजाय हर दिन समस्याएं बड़ा रहे है। 40 करोड़ की यूआईडीएसएसएमटी योजना का लाभ आज तक जनता को नही मिल पाया है। कभी पानी की पाईप लाईने लीकेज होने के कारण जल वितरण को बांधित किया जा रहा है तो कभी धोलावाड़ और मोरवानी में तकनीकि खराबी बता कर लोगों को पानी के लिए तरसाया जा रहा है। टेंकरों से पेयजल वितरण का कार्य भी लापरवाही पूर्वक किया जा रहा है। पानी के कई टेंकर मामूली खराबी के कारण टंकियों के आसपास रखे होकर महिनों से धूल खा रहे है। नगर निगम की कर्मशाला का लापरवाही प्रभारी इन खराब टेंकरों को सुधारने में कभी रुचि ही नही दिखाता है और वाहनों में कमीशन के खातिर अमानक स्तर के कल पुर्जो की खरीदी की जाकर इनका उपयोग वाहनों में किया जाता है जो कुछ दिन बाद ही पुन: खराब हो जाते है। गत दिनों कुछ टेंकरों को सुधारने की बात समाने आई मगर वो दो दिन बाद वापस खराब हो चुके है। इसी तरह फिल्टर प्लाट पर पानी शुद्व करने की तकनीकि सुविधा बंद है और लोग हर दिन मटमैला पानी पीने पर मजबूर है। इन्ही खामियों के बीच जल प्रदाय व्यवस्था में मेकेनिकल इंजीनियर का अभाव भी वर्षो से बना हुआ है।

पार्षदों का आरोप है कि आयुक्त ने जल प्रदाय व्यवस्था अपरिपक्व व लापरवाह अधिकारियों के हाथों में सौप रखी है जिन्हे ना तो रतलाम की भौगौलिक स्थिति का ज्ञान है और ना ही ये कृत्रिम जल संकट को हल कर पाने में सक्षम है कुल मिलाकर शहर वासियों को आचार संहिता के नाम पर आयुक्त और इनकी टीम जनता को परेशान कर सरकार की बदनामी कर रही है।

सफाई व्यवस्था के नाम पर करोड़ों रुपए के वाहनों की खरीदी की गई वही स्वच्छता सर्वेक्षण 2017 व 2018 के नाम पर करोड़ों रुपए कागजों पर ही फूंक दिए गए है। आयुक्त ने अपने कुछ मुंह लगे अधिकारी, कर्मचारियों व ठेकेदारों को लाभ दिलाने के लिए सफाई व्यवस्था के नाम पर खूब कमीशन खोरी की है और नतीजा ये है कि आज भी पूरा शहर गंदगी की चपेट में होकर शहर में अस्वच्छ वातावरण निर्मित करने में सहायक हो रहा है।

कई वार्डो में कचरा गाडिय़ां सप्ताह-सप्ताह भर तक नही आ रही है। लोग परेशान होकर मजबूरी में इधर-उधर कचरा फेकने पर मजबूर हो रहे है। वार्डो में वापस से अस्थायी कचरा घर बनने लगे है। इन कचरा घरों पर हजारों की संख्या में मच्छर पनप रहे है जो लोगों को मलेरिया, डायरिया, वायरल, डेंगू जेसी गंभीर बीमारियों की चपेट में लिए हुए है। कचरा गाडिय़ों में सुधार के नाम पर भी आयुक्त लगातार लापरवाही करते आ रहे है और कर्मशाला प्रभारी कमीशन खोरी में लिप्त होकर होकर इन वाहनों में सुधार के प्रयास कभी करते ही नही है। आए दिन नगर की सफाई व्यवस्था और पेयजल संकट को लेकर मीडियां में लापरवाही की खबरे सुर्खिया बनती है जिससे नगर निगम परिषद व प्रदेश सरकार की बदनामी की जा रही है।

नगर मेें सीवरेज सिस्टम का काम कछुआ गति से चलाया जा रहा है। पाईप बिछाने के नाम पर ठेकेदारों से जमकर कमीशन खोरी की जा रही है और सीवरेज का काम आज भी लोगों के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है। अवैध कालोनियों के विकास के नाम पर पहले जनता को लुभावने प्रलोभन दिए गए और नगर के तमाम इलाकों की सडक़े खोद दी गई है और आयुक्त ने सरकार की बदनामी करने और लोकसभा चुनाव में भाजपा को लाभ पहुचाने के लिए आचार संहिता की आड़ लेकर काम रोक दिए गए है। आज हालात ये है कि कई इलाकों की सडक़े उबड़-खाबड़ पड़ी है और लोग इन पर गिरते-पड़ते घायल होकर शारीरिक हानि उठा रहे है। आयुक्त को जनता को हो रही इस परेशानी के संबध में कई जनप्रतिनिधियों ने आयुक्त को अवगत कराया है मगर भाजपा को लाभ पहुचाने और जनता को मुसीबत देने वाले इस अधिकारी और इनके संरक्षण में जनता को परेशान कर रहे अधिकारी कर्मचारियों के कांनो में जू नही रेंग रही है।

पार्षदों ने बताया कि शहर को एक ड्रीम प्रोजेक्ट के एलईडी लाईट से रोशन करने का सपना दिखा कर शहर को रोशन करने के नाम पर भारी कमीशनखोरी की गई है। इसके चलते कई वार्डो में आज भी स्ट्रीट लाईटे बंद पड़ी है और लोगों को अंधेरे का सामना करना पड़ रहा है। योजना के तहत शहर के 12 हजार खंबों पर ये लाईट लगाई जाना थी मगर ठेकेदार ने 8600 खंबों पर ही लाईट की व्यवस्था कर काम रोक दिया था। आयुक्त के संरक्षण में ठेकेदार लगाई गई लाईटों के मेटेनेंस पर भी ध्यान नही दे रहा है।

शहर में भवन निर्माण अनुमति लेने और नामातंरण कराने के नाम पर जनता के पसीने छूट रहे है। आयुक्त ने अपने चहेते और शासन स्तर से गबनखोर साबित हो चुके अफसरों को इन महत्वपूर्ण कार्यो की जिम्मेदारियां सौप रखी है। नगर निगम की लोक निर्माण शाखा में कमीशन खोरी व मोटी राशि वसूलने के चक्कर में लोगों को भवन निर्माण की अनुमति एक-एक साल तक नही दी जा रही है। वही नामातरंण के हजारों प्रकरण आज भी लंबित पड़े हुए है। चैनल रजिस्ट्री सहित अन्य नियमों के माध्यम से जनता पर आर्थिक बोझ तो बढ़ाया ही गया है साथ ही उन्हे मानसिक प्रताडऩा भी लगातार दी जा रही है।

पार्षदों ने बताया कि आयुक्त एसके सिंह की कार्यप्रणाली और इनके संरक्षण में काम करने वाले कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों की कमीशनखोरी व लापरवाही से परेशान जनता आज मुलभूत सुविधाओं के लिए तरस रही है। इससे स्पष्ठ होता है कि आयुक्त सीधे तौर पर प्रदेश की कांग्रेस की सरकार की छवि को धूमिल करते हुए भाजपा को लाभ पहुचाने का कृत्य कर रहे है। ऐसे में शीघ्र ही एक प्रतिनिधि मंडल जिला प्रशासन व शासन से मिल कर आयुक्त को रतलाम नगर निगम से हटाने की मांग करेगा साथ ही जनता के साथ उग्र आंदोलन भी करेगा। उक्त प्रेस नोट रजनीकांत व्यास द्वारा दिया गया|