“अधिकारी सरकार की चापलूसी छोड़ें अन्यथा निज़ाम बदलने के बाद अपनी दुर्गति की कल्पना कर लें।’ नेता प्रतिपक्ष ने दी खुलेआम चेतावनी

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News By – नीरज बरमेचा/विवेक चौधरी

रतलाम। मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव रतलाम में प्रदेश के अधिकारियों पर जमकर बरसे। और उन्होंने चापलूस अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि निज़ाम बदलने पर उन्हें नौकरी करना मुश्किल हो जाएगी। रतलाम में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने प्रदेश सरकार के अधिकारियों को खुलेआम चेतावनी देते हुए कहा कि, “यह नया युग शुरू हुआ है एक साल से। अधिकारी इतनी चापलूसी कर रहे है सरकार की, यदि उनको घुटने टेक होने को कहा जाता है तो वे साष्टांग हो जाते है। बगैर रीढ़ के, बगैर मूंछ के, सिर्फ पूंछ भर, इसके अलावा कुछ नही है, अधिकारियों के पास। मैं आज चेतावनी देना चाहता हूँ कि अधिकारी चापलूसी करना छोड़ दें। पता नहीं किस दिन निज़ाम बदल जाएगा। वक्त का कोई ठिकाना नहीं है। इस कारण से मैं कहना चाहता हूँ, बाद में उनकी जो दुर्गति होगी, उसकी अभी कल्पना कर लें। नौकरी करने लायक नहीं रहेंगे।”

भाजपा नेता गोपाल भार्गव रविवार को रतलाम में चैतन्य कश्यप फाउंडेशन एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्रीड़ा भारती द्वारा आयोजित खेल चेतना मेले के उद्घाटन के अवसर पर आए थे। यह खेल चेतना मेले का 22 वां वर्ष हैं। रतलाम के ग्राम मलवासा के शासकीय स्कूल के राष्ट्रपति पुरुस्कार प्राप्त लोकप्रिय प्राचार्य आर एन केरावत के निलंबन पर पत्रकारों के पूछे गए सवाल के जवाब देते हुए गोपाल भार्गव ने गंभीर आरोप प्रदेश सरकार के कुछ अधिकारियों पर लगाये। उन्होंने कहा कि, “इतनी चापलूसी सरकार के अधिकारी चाहे वह कलेक्टर हो, एसपी हो, कमिश्नर हो, जो कर रहे हैं, मैं बहुत दुख के साथ यह कहना चाहता हूं कि बदले की भावना से काम कर रहे हैं। अब यदि किसी ने स्कूल में बच्चों के लिए निशुल्क कोई कॉपी किताब बाँट दी है, इसमें स्कूल के प्रिंसिपल को निलंबित कर देना, मैं मानकर चलता हूँ कि सर्वथा अनुचित है। निशुल्क बाँटी है, कोई शुल्क नहीं लिया है, कुछ नहीं लिया है। किसी का फोटो छपा है और वह भी स्वातंत्र्य वीर सावरकर जी का फोटो छपा है है, जिन्होंने स्वयं लंबी जैल काटी हैं। और उन्होंने पानी के जहाज ने निकलकर ब्रिटिश चेनल पर की है। एक ऐसे वीर सावरकर के छापे हुए फोटो के लिए उन्होंने प्रिंसिपल को सस्पेंड कर दिया मैं मान कर कर चलता हूं इस तरह की चापलूसी किसी भी अधिकारी की सरकार के लिए ठीक नहीं है हमने भी 15 वर्षों तक सरकार चलाई है लेकिन हमने ना किसी अधिकारियों से से ऐसा कुछ काम करवाया है ना ही अधिकारियों ने ऐसा किया है।” उल्लेखनीय है कि प्राचार्य केरावत के निलंबन के पश्चात इस निर्णय का लगातार विरोध हो रहा है। ग्रामवासियों के साथ विद्यालय के बच्चे भी लगातार विभिन्न तरीकों से इसका विरोध कर रहे है।