न्यूज़ इंडिया 365 की विशेष बातचीत – “ज्यादा और जल्दी की होड़ में आज का युवा”- भारत गौरव आचार्य पुलक सागर जी

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न्यूज़ इंडिया 365 की विशेष बातचीत – नीरज बरमेचा एवं विवेक चौधरी

लगभग 5 वर्ष पश्चात और तीसरी बार रतलाम पधारे प्रखर वक्ता एवं प्रसिद्ध जैन संत आचार्य पुलक सागर जी महाराज का मानना है कि उन्हें रतलाम वासियों का प्रेम यहाँ खींच लाया है। क्योंकि उनकी अभी रतलाम आने की कोई योजना थी नहीं, परिस्थितियां ऐसी बनी कि वे फिर भी यहाँ चले आये। यह बात उन्हें न्यूज़ इण्डिया 365 के साथ विशेष मुलाकात में कही। चर्चा में उन्होंने देश की मौजूदा परिस्थितियों, युवाओं संस्कार – शिक्षा, नागरिकता कानून इत्यादि पर खुलकर अपने विचार व्यक्त किए। 5 वर्ष पश्चात रतलाम शहर आने पर उन्हें लगता है कि यहाँ के युवाओं की धार्मिक जागृति बढ़ी है। यह अच्छा संकेत है। उनका कहना है जब मंदिर में युवाओं की अधिकता होती है तो धर्म भी जवां होता है।

आज के युवाओं के विभिन्न पहलुओं पर आचार्यश्री के विचार
आज का युवा उत्थान और पतन के दोराहे पर खड़ा है। यदि इन्हें सभी समय पर सही दिशा नहीं दी गई तो इनका भविष्य और हमारा बुढ़ापा बिगड़ सकता है। युवाओं के पास गति है लेकिन इन्हें सही दिशा देने के लिए धर्म, अध्यात्म और समाज को आगे आना पड़ेगा। बढ़ते अपराध और व्यभिचार की वजह परिवार संस्कारों की कमी है। ऐसे में अभिभावकों की भी जिम्मेदारी बनती हैं। वे अपने बच्चों एवं परिवार को पर्याप्त समय और संस्कार दें। पति पत्नी दोनों काम पर जाएं और नौकर बच्चे संभाले तो बच्चों को संस्कार कैसे मिलेंगे? यही बच्चे बड़े होकर आने अभिभावकों की उपेक्षा करेंगे। उन्हें और समाज को समर्पित नहीं हो पाएंगे। सामाजिक मर्यादाओं को पालन नहीं कर पाएंगे। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है अतः उसे अपने बच्चों, अभिभावकों, मित्रों, पड़ोसियों के साथ साथ समाज राष्ट्र के लिए समय निकालना चाहिए। पारिवारिक संतुलन के लिए यह बहुत जरूरी है।

इंटरनेट और उसके दुष्प्रभाव, समाज की जवाबदेही
इस ज्वलंत मुद्दे पर आचार्य पुलक सागर जी का कहना है कि वे आधुनिकता के विरोधी नहीं है। ना ही इंटरनेट और विज्ञान के। समाज को इंटरनेट के माध्यम से कई सारी सुविधाएं मिली है लेकिन आज इंटरनेट पर जो विकृतियाँ परोसी जा रही है, उसका विरोध आवश्यक है। गलत वेबसाइट्स पर प्रतिबंध लगना चाहिए। इन गलत वेबसाइट्स की वजह से युवा जल्दी जवान हो रहा है तथा बाल्यावस्था में ही गलत काम करने लगा है। ये देश राजनेताओं और शासन मात्र का ही नहीं हैं, जनता का भी है। अतः समस्याओं के समाधान में वह भी अपना योगदान दे। किसी के साथ अपराध होने पर हम कैंडल मार्च निकालते है। लेकिन यदि अपराधी हमारे ही परिवार के हो तो उन्हें बचाने की कोशिश करते है। यह दोहरा मापदंड बन्द करना पड़ेगा। नाबालिग अगर बालिगों जैसा अपराध करें तो उसकी सजा भी बालिगों जैसी होनी चाहिए।

आज़ादी के लगते नारे और वर्तमान शिक्षा व्यवस्था
युवाओं और छात्रों द्वारा लगाए जा रहे आज़ादी के नारों पर आचार्यश्री का कहना है कि सबसे पहले यह समझना होगा कि आजादी का मतलब स्वच्छंदता नहीं स्वतंत्रता है। स्वतंत्रता जिम्मेदारी से मिलती हैं। देश को मजबूत करने वाले विचारों को आगे लाना आज़ादी हैं। यदि कानून का सहारा लेकर देश को खोखला किये जाने का प्रयास किया जाए तो ऐसे कानून भी बदलने देने में कोई बुराई नहीं है। “ज्यादा और जल्दी” की होड़ में आज का युवा दिशाहीन होता जा रहा है। इसके लिए इन्हें महापुरुषों के जीवन को पढ़ना समझना चाहिए। यह दुर्भाग्य ही है कि आज की शिक्षा पद्धति में महापुरुषों के अध्याय खत्म हो रहे है और देश पर हमला करने वालों को पढ़ाया जा रहा है। बच्चों और छात्रों का क्या पढ़ाया जा रहा इस पर भी विचार होना चाहिए। शिक्षा व्यवस्था में भी बदलाव की आवश्यकता है।

नागरिकता और समान नागरिकता संहिता और जनसंख्या नियंत्रण कानून
देशव्यापी बहस का कारण बने इन गंभीर मुद्दों पर आचार्य पुलक सागर जी महाराज ने बड़ी बेबाकी से अपने विचार प्रस्तुत किये। CAA के मुद्दे पर उन्होंने प्रश्न किया कि विश्व मे कितने हिन्दू राष्ट्र है? यदि विश्व में कहीं हिन्दू प्रताड़ित होगा तो वो किस देश को आशा और अपेक्षा भरी निगाहों से देखेगा? उन्हें देश मे शरण देने में बुराई क्या है? शरणार्थियों के रूप में जो घुसपैठिए भारत मे घुस आए है और देश मे अव्यवस्था, अराजकता और आतंक फैलाने का कार्य करना चाहते है उन्हें देश से बाहर कर पड़ोसी तीन देश के अल्पसंख्यकों, जो धर्म और मज़हब के नाम पर शोषित और पीड़ित है, को जगह देना चाहिए। भारत मे मुस्लिमों के मन मे डर के प्रश्न पर आचार्यश्री ने कहा कि भारत मे अल्पसंख्यकों को जो आज़ादी और सुविधाएं है वो विश्व मे किसी भी देश मे नहीं है। चाहे तो आप विश्व मे किसी भी देश मे जाकर, रहकर देख लीजिए। उन्हें जो वैचारिक स्वतंत्रता यहाँ है और कहीं भी मुल्क में नहीं हैं। बँटवारे के समय यहाँ रहने वाले मुसलमान स्वेच्छा से यहाँ रुके है। उन्हें यहाँ परायेपन का बोध नहीं होना चाहिए। जैन समाज भी अल्पसंख्यक है लेकिन वो तो प्रताड़ित नही है। अगर होता तो हम जैसे दिगंबर साधु पूरे देश मे भ्रमण कैसे करते? CAA का विरोध कुछ राजनैतिक लोगों द्वारा स्वार्थवश किया और करवाया जा रहा है। यदि समान नागरिक संहिता लागू होती है तो बहुत अच्छा होगा। सारे झगड़े समाप्त हो जाएंगे। अभी जो जाति धर्म भाषा और प्रान्त के आधार पर सुविधाएं आरक्षण आदि मिलते है वो बंद होने चाहिए। इनका आधार जरूरतमंद और गरीबी होना चाहिए। यदि अयोग्यता सिंहासन पर बैठेगी तो योग्यता को हाथ फैलाना पड़ेगा। बढ़ती जनसंख्या पर भी अंकुश लगाया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री जी ने भी लाल किले के भाषण में कहा है। जिस हिसाब से जनसंख्या वृद्धि हो रही है उस हिसाब से संसाधन जुटाने मुश्किल हो जायेगें। और संसाधनों की कमी से अव्यवस्था – अराजकता पनपेगी, फैलेगी। जो सभ्य समाज के लिए उचित नहीं हैं। हालांकि समाज मे कुछ समुदाय ऐसे भी है जिनका अस्तित्व ही खतरे में है, उनके लिए कुछ प्रावधान किया जाना भी आवश्यक है।

शाकाहार बनाम अंडे तथा मांसाहार के नाम पर गौ हत्या
आंगनवाड़ियों में जो अंडे परोसने की बात सामने आई है, तो यह अहिंसक समाज के लिए एक बहुत बड़ा आघात है। अहिंसक समाज को मजबूत होकर इसका विरोध करना पड़ेगा। अगर नीतियों में परिवर्तन ना हो तो सामाजिक विरोध करना चाहिए। बहिष्कार करना चाहिए। शाकाहार पर पूछे गए एक प्रश्न पर आचार्यश्री ने कहा कि आजादी के नाम पर गौ मांस खाना तो अमानवीय कृत्य है। अपना पेट भरने के लिए किसी जीव का पेट फाड़ना, अपने जीवन के आनंद के लिए किसी का जीवन छिन लेने को तो अमानवीय ही कहेंगे। हम उस देश के निवासी हैं जहां ‘जियो और जीने दो’ की आदर्श परंपरा है।

वर्तमान समय के मीडिया के लिये संदेश
मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। मीडिया बहुत बड़ी ताकत है। जो काम तलवार नहीं कर सकती है वह काम अखबार कर सकता है। समस्या तब आती है जब अच्छी बातों की जगह मीडिया सनसनीखेज अथवा नेगेटिव बातों को तवज्जो देता है। मीडिया अगर व्यापार बन जाए तो उससे उसकी शक्ति क्षीण होने लगती है। मीडिया देश को सशक्त और समर्थ बना सकता है। मीडिया समाज को सही दिशा में आगे ले जा सकता है। मीडिया को भारतीय सनातन संस्कृति, सभ्यता, महापुरुषों, ऋषि मुनियों के सद्विचारों एवं शिक्षा को भी अपने यहाँ स्थान देना चाहिए।