News By – नीरज बरमेचा (Chief Editor)
(www.newsindia365.com) कोरोना ने पूरे विश्व के साथ साथ भारत को भी झकझोर कर के रख दिया है। लॉक डाउन 4.0 तक आते आते आम इंसान की दिनचर्या की ज़िन्दगी में कई बड़े बड़े बदलाव होने लगे है। एक तरफ तो गरीब आदमी की रोजी रोटी खत्म होती जा रही है वही दूसरी और मँहगाई की बढ़ती मार पीछा नही छोड़ रही है।
कोरोना के कारण दैनिक उपयोग में आने वाली कई वस्तुए इतनी महंगी होती जा रही है, जिसका शायद हम अन्दाज़ा भी नही लगा सकते है। फिर चाहे वो किराना का सामान हो, मेडिकल का सामान हो या शराब। किसी को उपलब्धता की कमी बताकर तो किसी को आगे से ही महंगा आ रहा है, कहकर ज्यादा पैसे लेने का बहाना मिल गया है। अब कई समान ऊँची कीमत पर मिलने लगा है।
कुछ समय पहले सैनिटाइजर, मास्क, इंफ्रारेड (नॉन कॉन्टेक्ट) थर्मामीटर, स्प्रिट को कोई पूछता भी नही था और आज इनके मूल्य आसमान छू रहे है। जिसने हमे कोरोना जैसी बीमारी दी उसी के यहाँ के इंफ्रारेड थर्मामीटर भारत देश के 80% लोग उपयोग में ले रहे है। पूरे भारत मे सैनिटाइजर और मास्क बिना किसी प्रशासनिक तथा मापदंडों के अवलोकन के ऐसे बिक रहा है मानो उन्हें कुछ भी बेचने की अनुमति मिल गई हो। 70% आइसो प्रोपायल अल्कोहल (IPA) को अच्छा सैनिटाइजर माना गया है किंतु इसका किसी भी अधिकारी के पास कोई मापदंड नही है, जिससे उसको प्यूरिटी चेक की जा सके।
बढ़ती दवाइयों का मूल्य
भारत मे अधिकतर दवाओं का बल्क उत्पाद चायना ने आता है। अभी कोरोना के चलते सभी उत्पादों में कमी आ गयी है। वही दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी ने भारतवासीयो से लोकल वस्तुओं को खरीदने पर जोर डाला है। कोरोना के चलते इन दिनों में दवाइयों के मूल्य ऐसे बढ़ रहे है, जिसका अंदाजा भी नही लगाया जा सकता। और आगे भी यह बढ़ना ही है, जिसका शायद अभी किसी को अन्दाज़ा भी नहीं है।
किराना वस्तुओ का बढ़ता मूल्य
कई किराना व्यपारियो ने भी कोरोना के चलते कालाबाजारी शुरू कर दी है। कई किराना वस्तुये जैसे सभी प्रकार की दाल, तेल के डब्बे, सूजी, आटा आदि ऐसी कई चीजों के दाम बढ़ने लगे है। इन सब का कोई मूल्यांकन करने वाला नही है।
श्रमिको का पलायन
लॉक डाउन के प्रारंभ में सभी से आग्रह किया गया था कि जो जहाँ है, वहीं रहे। लेकिन अफवाहों, स्थानीय प्रशासन की अव्यवस्थाओं, संवादहीनता और बढ़ते लॉक डाउन से प्रवासी मज़दूर और श्रमिक अपने घर वापसी के लिए आतुर हो गए। पहले पैदल ही फिर जिसको जो साधन मिला उसी से। वैसे स्पेशल ट्रेन और कई राज्य सरकारों द्वारा बसों की भी व्यवस्था कराई गई। लेकिन राजमार्गो पर हालात दुखी करने वाले थे।
लॉकडाउन 4.0 तक आते आते कई आम परिवारों के पास पड़ा हुआ सेविंग का पैसा भी अब खत्म होने लगा है, ऐसे में कोरोना का रोना खत्म होने का नाम नही ले रहा है। सूत्रों की माने तो अगले कुछ महीनों में कोरोना मरीजो की संख्या में एक साथ बड़ी वृद्धि होने की आशंका जताई जा रही है।
केंद्र के स्वास्थ्य विभाग ने तो कह दिया कि अब धीरे धीरे कोरोना के साथ कैसे जीवन व्यापन करना है !!! लेकिन उन्होंने यह नही बताया कि बिना पैसे या आमदनी के क्या यह ज़िन्दगी संभव हो पायेगी एक आम आदमी की। यह एक बड़ा विचारणीय प्रश्न है?