अब रतलाम पर भी टिड्डी दल की आशंका, जिला स्तरीय कंट्रोल रुम गठित। वीडियो बनाकर भेजने का निर्देश

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News by- नीरज बरमेचा 

रतलाम 18 मई 2020/ राजस्थान की ओर से जिले में टिड्डी दल के आने की आशंका एवं बचाव के लिए जिला प्रशासन द्वारा आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। इसके लिए कलेक्टर रुचिका चौहान द्वारा 24 घंटे कार्य करने वाला जिला स्तरीय कंट्रोल रुम स्थापित किया गया है। कंट्रोल रुम का नम्बर 07412-267211 है। इस पर 4 शिफ्टों में कर्मचारी तैनात किए गए हैं। कलेक्टर ने अपील की है कि यदि जिले में कहीं टिड्डी दल दिखाई देता है तो उसका वीडियो बनाकर तथा सूचना तत्काल अपने क्षेत्र के कृषि अधिकारी या निकटवर्ती थाने अथवा कंट्रोल रुम पर पहुंचाएं।  कलेक्टर द्वारा टिड्डी दल से बचाव के सम्बन्ध में उपसंचालक कृषि को टास्क फोर्स तथा सर्वेक्षण दलों के गठन के लिए निर्देशित किया गया है। बचाव की माकड्रिल भी की जाएगी।

रतलाम पर टिड्डी दल के हमले की आशंका के चले जिला प्रशासन ने कृषकों एवं अन्य लोगों से आवश्यक जानकारियां साझा की हैं। उल्लेखनीय है कि राजस्थान से मध्यप्रदेश के सीमावर्ती नीमच, मंदसौर जिले में टिड्डी दल का आगमन हो चुका है। रतलाम जिला भी राजस्थान का सीमावर्ती होने के कारण, इस पर भी टिड्डी दल की आशंका बढ़ गई है। टिड्डी दल से बचाव के लिए उपसंचालक किसान कल्याण कृषि विकास विभाग जी.एस. मोहनिया ने किसानों को सामायिक सलाह जारी की है। उपसंचालक के अनुसार टिड्डी दल हरी पत्तियां तुरंत खा जाता है, यह बड़ी संख्या में एक साथ आती हैं, दिन में उड़ती है तथा रात में बैठती हैं। किसान बंधु शाम को टीड्डी झुंड को एक साथ अपने खेत में बैठे हुए देखे तो रात में ही खेत में कल्टीवेटर चला दे। कल्टीवेटर के पीछे खंबा, लोहे का पाइप या कोई ऐसी वस्तु बांध के चलाएं जिससे पीछे की भूमि वापस समतल हो जाए तथा टिड्डी दल उसमें दबने से मर जाए। साथ ही कर्कश ध्वनि जैसे टीन, कनस्तर, डब्बा आदि बजाकर ध्वनि प्रसारित करते रहें। यदि टिड्डी दल जीवित रहता है तो आसपास की हरियाली को नष्ट कर देता है, सारे हरे पत्ते खाकर नष्ट कर देता है। 

किसानों से अपील की गई है कि अगर कहीं पर टिड्डी दल देखने को मिले तो उसकी सूचना प्रशासन को देवें। किसानों को वैज्ञानिक उपायों के बारे में बताया गयाहै कि स्प्रे पंप विशेषकर जिनके पास ट्रैक्टर ट्राली, स्प्रे पंप हो, उसमें क्लोरो पायरी फास 20 प्रतिशत, ईसी दवा 1200 मिलीलीटर अथवा डेल्टा मेथीरीन 2.8 प्रतिशत, ईसी 600 मिलीमीटर अथवा लेमडा साइलोथ्रीन 5 प्रतिशत, ईसी दवा 400 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर के मान से स्प्रे करें। साथ ही पाउडर रूपी दवा क्वीनलफास, 1.5 प्रतिशत डीपी अथवा फैन वल रेट 0.4 प्रतिशत डीपी दवा पाउडर प्रति हेक्टेयर 25 किलो ग्राम की दर से भूरकाव करें, टिड्डी दल के आक्रमण के समय दवाई नहीं होने स्थिति में किसान ट्रैक्टर चलित स्प्रे पंप की तेज बौछार करके भी रोकथाम कर सकते हैं।