आखिर मेडिकल कॉलेज के हॉस्पिटल को शुरू करवाने के पीछे क्या मंशा है चिकित्सकों की?

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News By – नीरज बरमेचा

(www.newsindia365.com) रतलाम जिले में जब मेडिकल की स्थापना हुई थी तब हर किसी वर्ग में, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, एक खुशी और उमंग थी। उसके मन में एक उम्मीद थी कि अब रतलाम में ही कई प्रकार के इलाज संभव हो पाएगा जिसके लिए अन्य शहरों में जाना पड़ता था। रतलाम में मेडिकल कॉलेज होने के बाद अब किसी भी बीमारी के लिए इंदौर,  बड़ौदा या किसी अन्य बड़े शहरों में नहीं जाना पड़ेगा। लेकिन क्या यह सपना सिर्फ सपना ही बन कर रह जायेंगा? शायद ऐसा किसी ने नहीं सोचा होंगा|

रतलाम के शासकीय स्वशासी चिकित्सा महाविज्ञालय से संबंधित चिकित्सालय को अतिशीघ्र आरंभ कराया जाए, यह मांग कॉलेज के मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन ने शहर विधायक चैतन्य काश्यप को ज्ञापन सौंप कर की है।

अब सवाल यह उठता है कि यह मांग करने वालों की पृष्ठभूमि क्या थी?

जो यह मांग करने के लिए गए थे उनमें के कुछ चिकित्सको के नाम तो शहर भर में आधा दर्जन से ज्यादा निजी क्लिनिक और अस्पतालों में बड़े बड़े बोर्ड पर लिखे हुए है| इनमें से कुछ के बारे तो लोग यह कहते है कि वे एक फ़ोन पर सरकारी नौकरी छोड़ कर निजी प्रैक्टिस पर पहुँच जाते है| सुबह का पहला राउंड निजी अस्पतालों में और उसके बाद जिला चिकित्सालय में लगता है| यह चिकित्सक शासकीय मेडिकल कॉलेज में कम और निजी अस्पतालों में ज्यादा दिखाए देते है| जिला चिकित्सालय से मरीज को रेफर कर निजी अस्पताल में शिफ्ट करना और वहाँ उपचार करना इनके लिए आम सी बात हो गयी है| ऐसा नहीं कि आला अधिकारिओ को इस बारे में कोई खबर ना हो, लेकिन सब अपनी आँखों पर पट्टी लगा कर बैठे हुए है| और कुछ चिकित्सको ने पैथोलॉजी का काम भी अपने निजी स्तर पर शुरू कर दिया है| मतलब तनख्वाह पूर्ण रूप से सरकार से ले लो और काम निजी स्टाइल में करो| ऐसा ना हो कि थोड़े दिनों में इनकी किताब भी देखने को मिल जाए बाजारों में, जिसका शीर्षक हो “सरकारी नौकरी के चलते कैसे करे अपना निजी व्यापार…”