रविवारीय लॉकडाउन – जनता सहयोगी, प्रशासन निर्मोही!! दूध तो न मिला, लेकिन मिली दारू, मास्क पहनने का आदेश देने वाले क्या खुद पहनते है…

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रतलाम जिला चिकित्सालय के फीवर क्लिनिक का नज़ारा, यहां पर RT PCR के लिए सैंपल लिए जाते है
News By – नीरज बरमेचा
रतलाम। गतवर्ष कोविड 19 महामारी के आगमन के पश्चात पूरे देश के साथ साथ रतलाम की जनता ने भी लॉकडाउन का दौर देखा। शायद इससे पहले अधिकांश लोगों ने लॉकअप तो सुना था लेकिन कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन के बारे में सुना, देखा और इसका अनुभव भी किया। उन्ही की यादें कल रविवार को पुनः ताज़ी हो गई। अभी कुछ समय पूर्व लग रहा था कि अब कोरोना का डर नहीं है। संक्रमण धीरे धीरे नियंत्रित हो रहा है। वैक्सीन भी आ गई है, आम जनता को लगनी भी शुरू हो गई है। लेकिन मार्च 2021 के महीने में सब कुछ बदल गया। बड़ी संख्या में संक्रमण और उनकी वजह से कुछ संक्रमितों की मौत ने फिर से लॉकडाउन के दर्शन करवा दिए। आपसी मनमुटाव दूरकर दुश्मनों को भी गले से मिलाने वाली होली पर सामाजिक दूरियों का पालन करते लोग, अपनो से भी गले नहीं लग सकें।
बढ़ते संक्रमण की वजह से प्रदेश के इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर जैसे बड़े शहरों के साथ रतलाम सहित कुछ अन्य शहरों में रविवार को लॉकडाउन लगाया गया। प्रशासनिक आदेश जारी होते ही जनता ने बिना किसी विरोध के अपनी सुरक्षा और जिम्मेदारी को समझते हुए सहयोगात्मक रवैया दिखाया और रविवार को रतलाम पूरी तरह से बन्द रहा। होलिका दहन का पर्व को बंदिशों के साथ मनाया गया। दिन में पूरे शहर में सन्नाटा पसरा रहा। अधिकांश बसें खाली चली। ग्रामीण क्षेत्रों में थोड़ी चहल पहल दिखी लेकिन शहर में पूर्व के लॉकडाउन की तरह इस बार सब्ज़ी, फल और दूध उपलब्ध नहीं था। यह बात अलग थी कि दूध की दुकानें बंद थी और दारू की खुली थी। बिना फ्रिज वाले परिवार गर्मी भरे इस दिन में दूध को तरसे और दारू वाले खुली दुकानों की सुविधा का लाभ लेते रहे। आखिर कलयुग में यही होना था। दूसरों को उपदेश और आदेश देने वाला प्रशासन सोशल मीडिया पर आलोचनाओं का शिकार होता रहा।

मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थाओ को लेकर प्रशासन सवालो के घेरे में…  

बढ़ते संक्रमण से प्रशासन की उपचार व्यवस्था भी आलोचनाओं के कठघरे में थी। एक भाजपा नेता और एक व्यवसायी की कोरोना संक्रमण पश्चात मृत्यु एवं उनके उपचार प्रक्रिया से उपजे सवालों से मेडिकल कॉलेज और प्रशासन पर सवालिया निशान के साथ जनता की नाराजगी दिखी। माहौल की गंभीरता को देखते हुए शहर विधायक चैतन्य काश्यप ने संभागायुक्त, कलेक्टर, CMHO और मेडिकल कॉलेज के डीन से बात की तथा हालात सुधारने की नसीहत दी। विधायक के सक्रिय होने से कुछ हलचल भी हुई। एसडीएम शिराली जैन को पृथक से इस उपचार प्रक्रिया पर निगाहें रखने को कहा गया। 

मास्क पहनने का आदेश देने वाले क्या खुद पहनते है?
दरसअल समस्या प्रशासन के साथ साथ स्वास्थ्य विभाग की भी है। दुसरों को उपदेश देने और मास्क ना पहनने वालों के चालान काटने, जुर्माना करने और दुकान बन्द करने जैसे आदेश देने वाले खुद इसपर कितना अमल करते है? यह भी प्रश्न है। कोविड सैम्पलिंग बढ़ाने की बात कहने वाले नगर के मध्य सिविक सेंटर वाले कोविड टेस्ट सेंटर को बन्द कर देते है। मास्क पहनने की मुनादी करवाते है लेकिन कोरोना संक्रमितों की जाँच वाले RT-PCR टेस्ट के समय टेस्ट लेने वाले खुद मास्क पहनना उचित नहीं समझते है। (देखें चित्र) जनता बेचारी करे तो भी क्या, भले राजतंत्र हो या लोकतंत्र, प्रजा को तो मात्र आदेश का पालन करना है और अपने हिस्से का कर चुकाना है। बहरहाल जनता के लिए आशा ही सबसे आधार है और वह उसी पर आश्रित है।