News By – नीरज बरमेचा
सरकार। केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार ने कोविड के उपचार सेवा क्षेत्र में काम करने वाले कई वर्गों को कोरोना वारियर्स का दर्जा दे दिया। लेकिन इसमें फ्रंट लाइन पर रहे केमिस्ट या मेडिकल संचालको को किसी ने भी कोरोना वॉरियर्स का दर्जा नहीं दिया। दवा विक्रेता की भी जान जोखिम में होती है। पॉजिटिव मरीजों के परिजन एवं कई बार अनजाने में स्वयं पॉजिटिव व्यक्ति इनसे दवाई लेने के बहाने सीधे संपर्क में आ जाते है। ये दवा विक्रेता भी अपनी जान हथेली पर रख कर दवाई उपलब्ध कराने का कार्य कर रहे है। अनेक दवा विक्रेता भी संक्रमित हुए है और कइयों ने अपनी जान भी गंवाई है। लेकिन दवा व्यवसायीयों के लिए अभी तक टीकाकरण की कोई योजना सरकार द्वारा पूरे देश में लागू नहीं की गयी है। इन्हें फ्रंट लाइन वॉरियर्स नही माना गया। इससे पूरे देश भर के दवा विक्रेताओ में नाराजगी है।
दवा विक्रेताओं का कहना है कि वे सीधे मरीजों अथवा उनके परिजन के संपर्क में आते है एवं उन्हें तो ये भी नहीं पता रहता है कि ये कोरोना पॉजिटिव है या नहीं। फिर भी ऐसे में मरीजो को प्राथमिकता से दवाई उपलब्ध कराने का कार्य भी किसी कोरोना वारियर्स से कम नही है। ऐसे में देश भर के दवा विक्रेता हडताल पर ना जाते हुए अपने कार्य में मुस्तैदी के साथ जूट रहें है।
रतलाम जिला औषधि विक्रेता संघ के अध्यक्ष जय छजलानी ने न्यूज़ इंडिया 365 को बताया कि यदि अगले कुछ दिनों में यदि दवा विक्रेताओं के हित का फैसला नहीं लिया गया तो पूरे देश भर के दवा विक्रेता अघोषित हडताल पर जा सकते है। इसे लेकर प्रदेश ही नहीं देश भर में हड़ताल को लेकर तैय्यारिया चल रही है| रतलाम जिले में ही कम से कम दो दर्जन अधिक दवा विक्रेताओ ने अपनी जान कोरोना से गंवाई है|