सनातन धर्म के संस्थानों पर सरकारी नियंत्रण समाप्त हो! अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविन्द्र पुरी महाराज ने की मांग…

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News By – विवेक चौधरी

रतलाम। (शुक्रवार) अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्रपुरी महाराज का रतलाम आगमन हुआ। वे महामंडलेश्वर स्वामी चिदम्बरानंद महाराज की भागवत कथा में भी सम्मिलित हुए। दयाल वाटिका से निकले उनके वाहन काफिले का शहर में जगह जगह स्वागत हुआ। वे दयाल वाटिका पर प्रेस से मुखातिब हुए एवं मीडियाकर्मियों से चर्चा की। प्रेस वार्ता में चर्चा के दौरान महंत रविन्द्रपुरी महाराज ने बताया कि वे पंचायती निर्वाण अखाड़े से है। विभिन्न अखाड़ों के समूह का संयुक्त स्वरूप अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद है। अखाड़ा अखण्ड शब्द से आया है और सनातन की संस्कृति को स्थापित करने के लिए, विधर्मियों के शासनकाल में धर्म एवं संस्कृति के रक्षण के लिए हमारे पूर्वजों आदि जगतगुरु शंकराचार्य के दिव्य अभियान से अखाड़ों की उत्पत्ति हुई है। महंत रविन्द्रपुरी महाराज उस अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष है जो महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों के समय साधु-संतों और सरकार के बीच में सेतु का काम करती है। यह परिषद साधु-संतों की समस्याएं सरकार और प्रशासन के सामने रखती है और उनका निराकरण कराने की कोशिश करती है। इसलिए यह संस्था और पद महत्वपूर्ण हो जाता है।


मोदी – योगी के कार्यों की प्रशंसा

अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत रविन्द्रपुरी महाराज ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना करते हुए कहा कि यदि राजा धर्म के अनुसार आचरण व्यवहार करता है तो जनता में भी धर्म के प्रति जागरूकता बढ़ती है, मंदिरों संस्थानों की व्यवस्था सुधरती है। शासन सुव्यवस्थित रहता है। उन्होंने प्रधानमंत्री की धार्मिक यात्राओं को भी सही बताया। वाराणसी में चल रहे काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर सहित अन्य कार्यों की प्रशंसा की। वही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में कहा कि उत्तर प्रदेश में एक राजा का नही, एक सन्यासी योगी का शासन चल रहा है। विगत 25 सालो में उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था जो पिछले शासन और कुछ समाज के लोगो ने बिगाड़ी थी, उस पर अंकुश लगाने का काम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने किया है।गुंडा माफिया के खिलाफ काम किया है। योगी की प्रशंसा अकेले हम ही नहीं कर रहे है, बल्कि विरोधी भी हमारे सामने व्यक्तिगत रूप से करते है।

धर्मांतरण और मठ मंदिर नियंत्रण आदि पर भी कहा

महंत ने बेबाकी किंतु संयमित तरीके से सनातन धर्म से जुड़े कुछ मुद्दों पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने बताया कि सनातन धर्म के मंदिरों मठों संस्थानों पर शासन के नियंत्रण को समाप्त करने मांग उठाई जा रही है। इसमें अश्विनी उपाध्याय एवं सुब्रमण्यम स्वामी जैसे दिग्गज कानूनी दिशा में कार्य कर रहे है। महंत ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के हवाले से कहा कि कलेक्टर कस्टोडियन हो सकता है लेकिन मालिक नहीं। सनातन धर्मावलंबियों की भावनाओं के अनुरूप एवं अनुदानों का उपयोग उसी धर्म के संस्थानों एवं जरूरतमंदों पर विभिन्न योजनाओं के माध्यम से खर्च की जानी चाहिए। वही धर्मांतरण के मुद्दे पर कहा कि कुछ राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो गए है। वहीं कुछ जगह धर्मान्तरण का कार्य हो रहा है जिस पर कार्यवाही होनी चाहिए। पूर्व अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी मृत्यु के बारे उन्होंने न्यायपालिका तथा जाँच पड़ताल के जारी रहने के हवाले के साथ संयमित जवाब दिया। महंत ने युवाओं की धार्मिक रुचि, अध्यात्म का समस्या निवारण में उपयोग आदि पर भी अपने विचार व्यक्त किए।

वहीं प्रसिद्ध संत महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंद महाराज ने प्रेस वार्ता के प्रारंभ में कहा कि वर्तमान समय में सामान्य जन सनातन धर्म के अखाड़ों के बलिदान से अनभिज्ञ है। विधर्मियो के शासनकाल में धर्म रक्षा के लिए अखाड़ों ने ऐतिहासिक बलिदान दिया है। सनातन धर्म के रक्षण एवं महाकुंभ जैसे विश्व के सबसे धार्मिक आयोजन को बचाने रखने में अखाड़ों के महत्व पूर्ण योगदान रहा है। वार्ता के दौरान महामंडलेश्वर स्वामी आत्मानंद पुरी महाराज पंजाब ने भी अपने विचार व्यक्त किए। वार्ता के समय संत मंडल में महामंडलेश्वर महेश्वरानंद महाराज पाली राजस्थान, महामंडलेश्वर पुरुषोत्तमानंद सरस्वती सीतापुर उत्तर प्रदेश, महामंडलेश्वर संविदा सरस्वती माता मुम्बई, स्वामी सहजानंद हिसार हरियाणा आदि उपस्थित थे। कैलाश व्यास ने वार्ता का संचालन किया। वार्ता के समय मोहनलाल भट्ट, सुनील भट्ट, राकेश पोरवाल, मनोहर पोरवाल, जयेश झालानी सहित अनेक सनातन धर्मावलंबी उपस्थित थे।


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