News by – विवेक चौधरी
● ओवररेटेड बिक्री की शिकायत पर होगी कार्यवाही।
● अब तय दर से ही बेचना पड़ेगा।
क्या आप भी स्टाम्प पेपर को उसकी तय कीमत से ज्यादा मूल्य पर खरीदते है? अगर हाँ तो विक्रेता की मुश्किलें बढ़ जाएगी। क्योंकि अब ऐसी व्यवस्था बन गई है कि स्टाम्प पेपर खरीदते समय ग्राहकों को निर्धारित दर से अधिक भुगतान नहीं करना पड़ेगा। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि स्टाम्प वेंडरों को अब पेपर की तय कीमत से अधिक वसूली करने की अनुमति नहीं है। स्टाम्प पेपर की मूल कीमत में ही अब विक्रेताओं का कमीशन शामिल कर दिया गया है, जो उन्हें सरकार द्वारा नियमित रूप से दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली हाई कोर्ट की खंडपीठ ने निर्णय में भी बताया था कि यदि कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक कर्तव्य के निष्पादन के लिए फीस या कमीशन के रूप में पारिश्रमिक पाता है तो वो “लोक सेवक” माना जायेगा। न्यायमूर्ति ने यह कहा था कि स्टाम्प विक्रेता सरकार से रियायती मूल्य पर स्टाम्प खरीदता है और पारिश्रमिक के रूप में कार्य करता है। साथ ही स्टाम्प बेचना एक सार्वजनिक कर्तव्य है। स्टाम्प पेपर के मामले में सरकारी आदेश के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति 10 रुपये का स्टाम्प पेपर खरीदना चाहता है तो वह उसे ठीक 10 रुपये में ही मिलेगा। इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जा सकता। यही नियम 50, 100 या अन्य किसी भी दर के स्टाम्प पेपर पर लागू होगा।
ओवररेटेड बिक्री पर नकेल कसेंगे
सरकार ने आम जनता से अपील की है कि यदि कोई स्टाम्प विक्रेता निर्धारित दर से अधिक राशि मांगता है या जबरन वसूली करता है, तो उसकी शिकायत तुरंत विजिलेंस विभाग, स्थानीय एसडीएम कार्यालय या जिला कलेक्टर से की जा सकती है। इस तरह की शिकायतों पर प्रशासन सख्ती से कार्रवाई करेगा। इसमें सरकार की मंशा: स्टाम्प विक्रय में पारदर्शिता लाना और जनता को राहत देना है। इस नई व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य स्टाम्प पेपर की कालाबाजारी को रोकना और जनता को राहत देना है। लंबे समय से यह देखा जा रहा था कि आम लोगों से स्टाम्प पेपर की वास्तविक कीमत से ज्यादा वसूली की जाती थी, जिससे जनता को आर्थिक नुकसान होता था और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता था।
बताया जा रहा है कि अब सरकार द्वारा विक्रेताओं को उनके कमीशन का भुगतान सीधे किया जाएगा, जिससे उन्हें ओवररेटेड बिक्री करने की कोई आवश्यकता नहीं रहेगी। प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे स्टाम्प पेपर की तय कीमत से अधिक भुगतान न करें और यदि कोई विक्रेता अधिक राशि की मांग करता है तो उसकी जानकारी तुरंत अधिकारियों को दें। इससे न सिर्फ भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा बल्कि व्यवस्था भी अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बन सकेगी। यह कदम सरकार की पारदर्शी और जनहितकारी नीति की दिशा में एक बड़ा फैसला माना जा रहा है। इससे न केवल आम जनता को राहत मिलेगी बल्कि सरकारी राजस्व को भी नुकसान से बचाया जा सकेगा।