भाजपा सांसदों की बढ़ी धड़कने, लोकसभा चुनाव से पहले नमो ऐप्प पर होंगे भाजपा सांसदों के सर्वे

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फाइल फ़ोटो

आने वाले लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी सांसदों की नींद उड़ी हुई है| इसकी वजह विरोधी नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नमो ऐप है| दरअसल नमो ऐप पर लोगों से उनके संसदीय क्षेत्रों के तीन सबसे प्रमुख नेताओं की जानकारी मांगी गई है|

पीएम मोदी सांसदों से कई बार सरकार के चलाए जा रहे कार्यक्रमों को जनता तक पहुंचाने के बारे में कहते रहे हैं| इसके अलावा वो सांसदों से नमो ऐप और सरकार के अन्य डाटा प्रदाता सेवाओं से लोगों से कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए भी कहते हैं|

सर्वे में पूछे गए कई सवालों में से एक- अपने संसदीय क्षेत्र के तीन सबसे पोपुलर (मशहूर) नेताओं के नाम बताइए? इस सवाल से निश्चित रूप से बीजेपी के मौजूदा 268 सांसद चिंतित हैं| नमो ऐप पर सर्वे लॉन्च होने के बाद प्रधानमंत्री ने एक विडियो अपलोड कर लोगों से कर इस सर्वे में हिस्सा लेने को कहा| इस बात से प्रधानमंत्री की इसमें दिलचस्पी को समझा जा सकता है|

मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘विभिन्न मुद्दों पर मुझे आपका डायरेक्ट (सीधा) फीडबैक चाहिए… नरेंद्र मोदी ऐप पर इस सर्वे में शामिल हों|’ ट्वीट करते हुए पीएम मोदी ने जो विडियो शेयर किया है, उसमें उन्होंने कहा, ‘आपका फीडबैक मायने रखता है| विभिन्न मुद्दों पर आपका फीडबैक हमें महत्वपूर्ण फैसले लेने में मदद करेगा| क्या आप इस सर्वे में शामिल होंगे, साथ ही दूसरों को भी ऐसा करने के लिए कहेंगे|’

BJP अध्यक्ष अमित शाह ने भी सबसे सर्वे में शामिल होने की अपील की

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी ट्वीट कर लोगों से नमो ऐप पर सर्वे में हिस्सा लेने की अपील की| उन्होंने कहा, ‘विभिन्न मुद्दों और अपने क्षेत्र के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना फीडबैक देने का यह बेहतरीन अवसर है| आप सर्वे में शामिल होकर न्यू इंडिया के निर्माण में अपना योगदान दे सकते हैं|’

बीजेपी के ज्यादातर लोकसभा सांसद हिंदी भाषी राज्यों से आते हैं जिनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ शामिल हैं| यहां 2017 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी को कोई भी बड़ी जीत हासिल नहीं हुई है|

हाल के विधानसभा चुनावों में हुई हार, जिनमें मध्य प्रदेश में मिली करीबी पराजय शामिल है| यहां माना जा रहा कि बीजेपी ने चुनाव में जिन विधायकों को टिकट नहीं दिया था उनमें अगर और 10-15 विधायकों के टिकट काटे जाते तो पार्टी यहां अच्छा प्रदर्शन कर सकती थी| इसके अलावा यूपी की प्रतिष्ठित लोकसभा सीटों के उपचुनाव में भी पार्टी को हार नसीब हुई थी|