45℃ तापमान के साथ गर्मी के प्रकोप से हाल बेहाल, लू के चलते ये सावधानी बरतें…

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News By – विवेक चौधरी

(www.newsindia365.com) एक और जहां देश के मैदानी और पहाड़ी इलाको में गर्मी अपना तांडव दिखा रही है वहीं रतलाम जिला भी इससे अछूता नही रह गया है। आज जिले में माह की गर्मी अपने चरम पर थी। शुक्रवार को थर्मामीटर 45℃ तक पहुंच गया। जून के महीने में इस प्रकार की भयावह गर्मी लोगों को तपा रही है। नवतपा के बाद भी कोई राहत नज़र नही आ रही है। पिछले कई दिनों से पारा 40 से 44℃ के आसपास चल रहा है। जून के महीने में इस प्रकार की गर्मी चिन्ता का विषय बन रही है। अधिकांश विद्यालय आधे जून के बाद खुलने है। यदि गर्मी कम नही हुई तो बच्चों के हाल बेहाल हो जाएंगे।


लू से बचने के करें उपाय

गर्मी के मौसम में वातावरण में अधिक तापमान के बदलाव से ‘लू’ लगने की संभावना अधिक बढ जाती है। ऐसे में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर ननावरे ने आग्रह किया है कि आमजन धूप व गर्मी से बचे। घर के अंदर हवादार , ठंडे स्थान पर रहें। यदि बाहर कार्य करना अति आवश्यक हो तो बाहरी गतिविधियां दिन के अधिकतम तापमान वाले घंटों में न करें। सफेद व हल्के रंग के वस्त्रों का प्रयोग करें। सिर को कपडे या टोपी से ढके। जूते चप्पल तथा नजर के काले चश्में (गॉगल) का उपयोग करें। धूप में जाने से पहले भोजन व पर्याप्त पानी लेवें । अधिक से अधिक पेय पदार्थों जैसे नींबू पानी, लस्सी, छाछ, जलजीरा, आम पना, दही, नारियल पानी आदि का सेवन करें। ताजे एवं स्वच्छ भोजन का सेवन करें। शिशुओं तथा बच्चों, 65 वर्ष से अधिक आयु के महिला-पुरूषों, घर के बाहर काम करने वाले, मानसिक रोगियों तथा उच्च रक्तचाप वाले मरीजों का विशेष ध्यान रखें। बंद गाडी के अंदर का तापमान बाहर से अधिक होता है अतः कभी भी किसी को बंद पार्किंग में खडी गाडी में अकेला ना छोडे। बहुत अधिक भीड, गर्म, घुटन भरे कमरों, रेल, बस आदि की यात्रा गर्मी के मौसम में अत्यावश्यक होने पर ही करें। बेहोशी आना, तेज बुखार, सांस लेने में तकलीफ, उल्टी आना, चक्कर आना, दस्त, सिरदर्द, शरीर टूटना, बार-बार मुंह सूखना और हाथ-पैरों में कमजोरी आना या निढाल होना ‘लू ’ लगने के लक्षण हैं। ‘लू’ लगने पर काफी पसीना आ सकता है या एकदम पसीना आना बंद भी हो सकता है। यदि किसी व्यक्ति को ‘लू’ लगने का संदेह होता है तो उसे तत्काल ठण्डे स्थान पर रखें। पानी, छाछ व अन्य तरल पदार्थों को पर्याप्त मात्रा में लेंवें। यदि आराम ना लगे तो तुरंत निकट के शासकीय चिकित्सालय अथवा किसी स्वास्थ्य केंद्र पर ले जावे एवं उपचार करावें।