जावरा रोड शिवशंकर नगर के गड्ढों एवं अतिक्रमण का जिम्मेदार कौन??

0

News By – विवेक चौधरी (ब्यूरो प्रमुख रतलाम)

रतलाम। जावरा रोड स्थित शिवशंकर नगर अवैध बस्ती इस समय वहां से गुजरने वाले वाहनों की परीक्षा ले रही है। इस बस्ती में अवैध कब्जा किए हुए घर बने हुए हैं और इसका आलम यह है कि घटला ब्रिज पार करने के बाद क्रिश्चन कब्रस्तान से पहले यहाँ रोड मात्र 20 फीट चौड़ाई की ही बची है। लोगों ने अवैध कब्जे के बाद घर की सुरक्षा के लिए रोड के किनारे बड़े बड़े पत्थर भी जमा दिए है। किसी जमाने में इस सड़क का परिवहन के लिए उपयोग महू नीमच राजमार्ग के रूप में होता था। लेकिन अवैध कब्जे की अनदेखी के चलते आज यहां से गुजरना भी मुश्किल हो गया है। रेलवे कॉलोनी की तरफ से आने वाले छोटे दुपहिया वाहन बकरा पुल का उपयोग करते हुए इसी जगह आकर मुख्य मार्ग पर मिलते हैं। बड़ी संख्या में लोग जो जावरा मंदसौर की तरफ अप डाउन अथवा यात्रा करते है, वें भी यहां से चढ़ते उतरते हैं। जिसकी वजह से अक्सर यात्री बस और जीप जैसे वाहन यहां रुकते हैं। इस जगह की सबसे बड़ी दुर्दशा तो यह है कि यहां यातायात का दबाव भी है और अतिक्रमण अपने चरम पर है। इसके साथ साथ इसी जगह बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं जिनसे वाहन निकालना भी वाहन चालकों के लिए अपनी कला कौशल का परिचय देने से कम नहीं है। उसपर यदि उसी समय नगर निगम के जलप्रदाय वाले टैंकर यहाँ आ जाये तो जाम की स्थिति निर्मित हो ही जाती है।

ऐसा प्रतीत होता है कि इस समस्या से बचने के लिए प्रशासन के आला अधिकारियों ने एक अच्छा उपाय खोज लिया है। वह उपाय यह है कि आजकल जिले के आला अधिकारी इस मार्ग से यात्रा ही नहीं करते हैं। इससे उन्हें उनकी आंखों के सामने होने वाले भयावह अतिक्रमण तथा दयनीय रखरखाव जैसी विकट समस्या को अनदेखी करने का मौका मिल जाता है। लेकिन शुतुरमुर्ग जैसे जमीन में मुंह छुपा लेने से समस्याओं से बचा नही जा सकता हैं। यह प्रशासन की नाकामी ही है कि सबसे पहले जब इस रोड पर अतिक्रमण हो रहा था तब ही उसे रोका क्यों नहीं गया? और आज जब अतिक्रमण की वजह से रोड एकदम संकरा हो गया है तब भी इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। पहले शिवशंकर कॉलोनी में मंदिर एवं बकरा पुल के आसपास ही अतिक्रमण वाली झुग्गी झोपड़ियां थी, जो अब आगे बढ़ते हुए पहलवान बाबा दरगाह तक पहुंच रही है। इसके बावजूद भी प्रशासन ने इस ओर कभी गंभीरतापूर्वक ध्यान देने की कोशिश ही नहीं की है। राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की अपनी मंशा और स्वार्थ तो समझा जा सकता है, लेकिन प्रशासन की अनदेखी आश्चर्यजनक है। इसी स्थान के पास जावरा रोड पर पुराने बाईपास के तिराहे पर आजकल मछली बाजार लगता है, जिसकी वजह से भी वहां भी आवागमन कठिन हो गया है। पहले की तुलना में इसी मछली बाजार के आसपास अब अतिक्रमण और अधिक हो गया है। लगता तो ऐसा ही है कि जब तक कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हो जाती है तब तक इस मुद्दे ही जिला एवं निगम प्रशासन आँख मूँदे बैठा ही रहेगा।