शिक्षिकाओं की अनूठी पहल, नहीं लिया उपहार – मांगा वचन

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News By – विवेक चौधरी (ब्यूरों प्रमुख रतलाम)

रतलाम। जहाँ एक और शिक्षा सेवा का नहीं व्यवसाय का क्षेत्र बनता जा रहा है वहीं दूसरी ओर ऐसे कुछ शिक्षक भी है जिन्होंने इस पद की गरिमा को बचाये रखने का प्रयास किया है। ऐसा ही कुछ प्रेरणास्पद वाकिया हुआ रतलाम जिले के रावटी कन्या आश्रमशाला में। रावटी की कन्या आश्रमशाला में शिक्षक दिवस अनूठे तरीके से मनाया गया। सर्वप्रथम शिक्षिकाओं ने शिक्षक दिवस का महत्व बताया। इस मौके पर शिक्षिकों ने अपनी शिष्याओं से किसी भी प्रकार का उपहार नहीं लिया अपितु उनसे वचन लिया कि वे रोज विद्यालय में उपस्थित होंगी। इसके लिए उन्होंने छात्राओं को बाकायदा संकल्प भी दिलवाया। उन्हें शाला में शिक्षिकाओं द्वारा दिया जाने वाला गृहकार्य समय पर करने और रोज 3 से 4 घंटे तक नियमित रूप से अध्ययन करने की शपथ भी दिलाई। शिक्षिकाओं ने छात्राओं से अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होने का आह्वान करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। इस पहल की सराहना की जा रही है।

बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को मनाया जाता है लेकिन भारत मे यह पर्व 5 सितंबर को मनाया जाता है। भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस पर शिक्षक दिवस मनाने की परम्परा 1962 से प्रारंभ हुई है। डॉ. राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 में हुआ था। वे शिक्षक, लेखक, विचारक तथा विद्वान व्यक्तित्व के धनी थे।