लग सकता है ज्योतिरादित्य सिंधिया के राजनैतिक अटकलों पर विराम, जानिए क्या हो सकता है?

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News By-Team www.newsindia365.com 

मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद से ही कद्दावर कांग्रेसी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की अपनी पार्टी से नाराजगी जगजाहिर रही है। पार्टी आलाकमान और रणनीतिकारों को भी युवा सिंधिया को संभालना भारी पड़ रहा है। रह रहकर प्रदेश में भी सिंधिया समर्थकों की नाराजगी से प्रदेश सरकार पर भी खतरे के बादल मंडराते नज़र आने लगते है। सिंधिया समर्थकों का मानना है कि प्रदेश में चुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया के युवा चेहरे को सामने रखकर लड़ा गया था। और यह जीत की बड़ी वजह बना था। साथ ही भाजपा की चुनावी रणनीति में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया निशाने पर थे। भाजपा का “माफ करो महाराज…” वाला नारा इसका सबसे बड़ा सबूत हैं। लेकिन नतीजे आने पर कांग्रेस स्पष्ट बहुमत से एक कदम दूर पर खड़ी थी और आगे का रास्ता भी कठिन था।

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15 सालों के बाद प्रदेश की कमान कांग्रेस को मिल रही थी इसलिए पार्टी भी कोई मौका छोड़ना नहीं चाहती थी। अपनी अंदरूनी राजनैतिक कलह के लिए मशहूर कांग्रेस पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को साधते हुए प्रदेश की कमान गांधी परिवार के विश्वस्त कमलनाथ को सौंप दी। इससे उन्हें कमलनाथ के राजनैतिक चातुर्य और विश्वनीयता का लाभ मिला और दिग्विजयसिंह को सत्ता से दूर रखने का मौका भी। यदि स्पष्ट बहुमत होता तो ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रबल दावेदार बनकर उभर सकते थे। इस घटना से युवा कांग्रेसी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया आहत नज़र आये। और अटकलों का दौर शुरू हो गया।

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समय समय पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक अपना विरोध अपने तरीके से दर्ज करते आते रहे है। और ज्योतिरादित्य सिंधिया का अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल होने की खबर भी उड़ती रही। सूत्रों की माने तो पार्टी नेतृत्व पर दवाब बनाने के लिए इस बात को सिंधिया समर्थकों द्वारा दबे छुपे तरीके से हवा दी जाती रही है। लेकिन जल्द ही इनपर विराम लग सकता है। दिग्विजयसिंह के पत्र पर ताजे ताजे विवाद के पश्चात उत्पन्न हुई परिस्थितियों पर नियंत्रण में लाने की दृष्टि से दिल्ली में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोनिया गांधी से मुलाकात कर प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया। अब जल्द ही नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा की जा सकती है। यह 12 सितम्बर से पहले हो सकता है। सोनिया गांधी की 10 सितंबर को ज्योतिरादित्य सिंधिया महत्वपूर्ण बैठक हो सकती है और उसके पश्चात 12 को दिल्ली में होने वाली CWC की मीटिंग के पहले प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा संभावित है। बताया जा रहा है, इसके पश्चात ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने या ना जाने की अटकलों पर पूर्णविराम लग जायेगा।

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