निजी अस्पतालों को बढ़ावा देता रतलाम जिला चिकित्सालय के चिकित्सक, जानिए क्या है पूरा मामला?

0
फाइल फोटो

News By – नीरज बरमेचा  

रतलाम जिला चिकित्सालय परिसर मरीजों को निजी अस्पताल को रेफर करने वाली बड़ी दुकान बन चुका है| ऐसा लगता है कि पूरे परिसर में निजीकरण का माहौल पैदा हो गया है| चिकित्सक से लेकर एक छोटा कर्मचारी भी रेफर कर के छोटी मोटी राशि झाड़ने की ताक में रहता है| और इसे अनदेखा करते हुए उच्च अधिकारी आँखों पर पट्टी बांधे बैठे हुए है| 

कई निजी अस्पताल तो सिर्फ जिला चिकित्सालय के कुछ चिकित्सकों द्वारा मरीजों को रेफर करने से कारण चल रहे है| कुछ चुनिंदा अच्छे चिकित्सको को यदि छोड़ दे तो बचे हुए सब सरकार से नौकरी का पैसा लेकर भी खुले आम निजी प्रैक्टिस कर रहे है| यदि जिम्मेदार अधिकारी चाहे तो एक दिन में यह सब बंद करवा सकते है, लेकिन परेशानी यह है कि चाहे कौन? कहीं इनकी भी निजी हित तो नहीं? यदि कुछ निजी अस्पतालों का डाटा और जिला चिकित्सालय का डाटा रतलाम प्रशासन मिलान करें तो कई चौकाने वाले खुलासे हो सकते है| 

कई चिकित्सको के लिए तो जिला चिकित्सालय मात्र एक घूमने और विजिट लगाने की जगह सी लगती है| जो कुछ देर आकर वहा से मि. इंडिया की तरह गायब हो जाते है और फिर उन्हें आप सिर्फ किसी न किसी निजी अस्पताल में देख सकते है| 

भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका रतलाम जिला चिकित्सालय के लिए एक अच्छे चिकित्सको का होना तो अब मात्र कल्पना की बात ही बचा है| परिसर का एक कोना भी ऐसा नहीं है जहाँ पर मरीजों से पैसे लेने की कोशिश नहीं की जाती हो। चाहे ऑपरेशन थिएटर हो या कार्डियक क्रिटिकल केयर या ट्रामा सेंटर|

Advt.

जिला चिकित्सालय के सुधार को लेकर ना तो किसी आला अधिकारी की निजी दिलचस्पी है ना ही किसी जनप्रतिनिधि की| कोई जिम्मेदार इस तरफ ध्यान ही नहीं दे रहा है। निजी प्रैक्टिस के चलते कुछ चिकित्सको का विज़न ही यही हो गया है कि वो जिला चिकित्सालय के मरीज को सिर्फ देखे और फिर उसे निजी डायग्नोस्टिक्स और निजी अस्पताल में रेफर कर दे|

सूत्रों की माने तो कई चिकित्सको ने अपने एजेंट के रूप में BHMS/BAMS कर रहे इंटर्न को बैठा रखा है। जो दिन रात सिर्फ मरीजों को रेफर करने में विश्वास रखते है| और इनके लिए ऐसे इंटर्न बखूभी अपना काम ईमानदारी से भी निभा रहे है| यद्धपि इन्हे एक ड्रग लिखने की अनुमति नहीं है तथापि जिला चिकित्सालय में ये लोग खुलेआम एक चिकित्सक की तरह काम कर रहे है|                                         

घटनाओं और शिकायतों के बाद प्रशासन भी ऐसा होने पर सिर्फ कुछ दिनों के लिए जागता है, फिर उसी ढर्रे पर आ जाता है। अभी कुछ दिनों पहले जिला चिकित्सालय परिसर में निजी एम्बुलेंस की बाढ़ आने लग गयी थी| कुछ निजी अस्पतालों ने अपनी एम्बुलेंस वह लगा रखी थी। प्रशासन जैसे ही सतर्क हुआ, तो थोड़े दिन के लिए एम्बुलेंस नहीं दिखी। अब वही हाल फिर से नज़र आने लगा है। यदि सब कुछ ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं कि जिला चिकित्सालय में एक बोर्ड लगा मिलेगा और उसमे लिखा होगा “यदि जल्दी स्वस्थ होना चाहते है तो निजी अस्पताल का सहारा ले|”