CAA के समर्थन रैली के पश्चात क्या प्रशासन और अभिभाषकों के बीच पुनः मोर्चा खुलेगा?? जानिए क्या है मामला

0

News By – विवेक चौधरी (रतलाम ब्यूरों प्रमुख)

रतलाम। बुधवार को नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में रतलाम में नागरिकों द्वारा एक ऐतिहासिक रैली का आयोजन किया गया था। जिसे पूरे शहर की जनता ने भरपूर समर्थन दिया था। लगभग 35-40 हजार की भीड़ ने एक रैली के रूप में शहर में मुख्य मार्गो पर मौन मार्च किया। शहर में किसी भी प्रकार की कोई अशांति नहीं हुई और बाजार खुले रहे। जब रैली चाँदनी चौक से गुजरी तो वहाँ की दुकान बंद रही, वो भी रैली के समर्थन में। एक वक्त ऐसा भी आया जब भीड़ में आई एम्बुलेंस को स्वयंसेवकों ने रास्ता दिलवाया और वो आसानी से जिला अस्पताल में प्रवेश कर गई। राष्ट्रगान के साथ हुए समापन के पश्चात रैली के अनुशासन और अनुमानित भीड़ की चर्चा सभी जगह चलती रही। लेकिन जानकारों को पहले से ही अनुमान था कि प्रशासन की ओर से रैली के आयोजकों पर कानूनी कार्यवाही संभव हो सकती है। और रात तक इसकी पुष्टि भी हो गई थी।

यद्यपि रैली में ऐसा कुछ हुआ नहीं जिससे शहर की शांति अथवा व्यवस्था भंग हुई हो फिर भी बिना अनुमति के रैली निकालने के आरोप में रतलाम झाबुआ के सांसद, जिले के 3 मौजूदा भाजपा विधायक, 2 पूर्व विधायकों सहित 38 लोगों एवं अन्य के विरुद्घ थाना प्रभारी स्टेशन रोड व तहसीलदार के सयुंक्त प्रतिवेदन के आधार पर एसडीएम रतलाम के द्वारा एफआईआर के लिए प्रतिवेदन प्राप्त होने पर थाना स्टेशन रोड पर अपराध क्रमांक 10/2020 धारा 188 भादवि का पंजीबद्ध कर दिया गया। रैली में पूर्व विधायक हिम्मत कोठारी और बड़ी संख्या में अभिभाषाकगण भी शामिल थे। जिनका जिक्र पुलिस द्वारा दी गई जानकारी में नहीं था। सम्भवतः ये “अन्य” शब्द प्रतिवेदन में उन सभी व्यक्तियों के लिए था जिनके विरूद्ध आवश्यकता होने पर मामला दर्ज किया जा सकें। अभिभाषक संघ के पूर्व एवं वर्तमान अध्यक्ष भी कानून के समर्थन में रैली में उपस्थित थे। ऐसा प्रतीत होता है कि इनके नाम देने में प्रशासन की हिम्मत नहीं हुई। शायद पूर्व में शहर में हुए नाबालिग बालिका दुष्कर्म के प्रकरण के समय उपजे हालात के बाद इस मामले में प्रशासन अभिभाषकों से पंगा नहीं लेना चाहता है। ऐसा लगता है कि इस समय प्रशासन असमंजस और अनिर्णय की अवस्था मे है। विगत लंबे समय से शहर धारा 144 के साये में गुजर रहा है। काजी हाउस पर हुए प्रदर्शन को लेकर भी प्रशासन का रवैया अस्पष्ट रहा था। एक ओर बन्द कमरों में प्रशासन की बैठकें होती रही और दूसरी ओर शहर के नागरिक कानून के समर्थन में सड़क पर आने का मन बना चुके थे।

इस मामले में गुरुवार को एक रोचक मोड़ तब आया, जब 11 अभिभाषकों के द्वारा संयुक्त रूप से कलेक्टर और एस पी को सूचना पत्र देकर सभी के खिलाफ मामला वापस लिए जाने और सत्ता के दबाव में आकर काम कर रहे दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने का अनुरोध किया गया। पत्र में आरोप लगाया गया कि मामला दबाव में आकर दर्ज किया गया है जबकि पूर्व में कानून का उल्लंघन करने वालों पर कोई मामला नहीं बनाया गया था। पत्र में सर्वोच्च न्यायालय एवं दिल्ली उच्च न्यायालय के हवाला देकर कहा गया कि इस कानून के प्रति जनजागरण की आवश्यकता है। और जिनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए है वो माननीय न्यायालय के अवमानना की श्रेणी में आता है। सूचना पत्र एडवोकेट राकेश शर्मा, प्रीति सोलंकी, कृष्ण गोपाल वासनवाल, धीरज शर्मा, रोहित रायकवार, भरत निगम, हेमंत शर्मा, विकास पुरोहित, शैलेंद्र राठौर, शैलेंद्र सोलंकी, देवेंद्र टाटावत द्वारा प्रेषित किया गया था। अब क्या यह न्यायालय की अवमानना का मामला है या नहीं, यह तो कानून के जानकार ही बता पाएंगे। लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि कहीं फिर से रतलाम अभिभाषको और पुलिस प्रशासन आमने सामने आकर ना खड़े हो जाएं?