फिर सुना सुना रह गया यातायात सप्ताह

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News By – नीरज बरमेचा 

बंद ट्रैफ़िक सिग्नल, धुआँधार ट्रैफ़िक, प्रेशर हॉर्न की ख़तरनाक आवाज़, दिन ढहाड़े बड़े वाहनो का शहरों में से निकलना और खुलेआम यातायात के नियमो के उल्लंघनो के बीच कब यातायात का पूरा सप्ताह निकल गया पता ही नहीं चला? ना ट्रैफिक व्यवस्था सुधरी ना ही पार्किंग समस्या का समाधान हुआ। धूमधाम से मंचीय कार्यक्रम के साथ शुभारंभ और मंचीय कार्यक्रम के साथ समापन हो गया। लेकिन शहर और उसका यातायात वैसा ही चलता रहा।

स्टेज की स्वागत मालाओं से शुरू होकर स्मृति चिन्हों के आदान प्रदान के बीच ख़त्म हो गया रतलाम शहर का यातायात सप्ताह। यातायात सप्ताह चलते ना तो ट्रैफ़िक सिग्नल शुरू हुए, ना ही प्रेशर हॉर्न में कमी आयी। पार्किंग समस्या, सब्ज़ी वालो की भीड़, दुकानदारों का अतिक्रमण, कुछ तो सुधरा ही नहीं? शहर की सड़कों पर बिंदास होकर बुलेट से ध्वनि प्रदूषण तो आम सी बात हो गई है, रतलाम की सड़कों के लिए। नाबलिको का वाहन चलाना एक तरह का ट्रेंड हो गया है। कुछ विद्यालयों के बाहर लंबी पार्किंग रोज जी तरह दिखती रही। शहर विकास के नाम पर गड्ढे वाली सड़के। और बंद रोड पहचान बन गई रतलाम की। कौन सी सड़क बन्द है इसके कोई स्पष्ट संकेतक ही नहीं है। ऊपर से बड़े वाहनो का दिन में भी शहर की कालोनी एवं व्यस्ततम मार्गों में से गुज़रना आम सी बात हो गयी है। चार पहिया वाहनो में भी काली फ़िल्म लगाकर बेख़ौफ़ होकर घूमते नज़र आ जाते है शहर के मार्गों पर। लेकिन फिर भी यातायात सप्ताह मना लिया गया। इतना होते हए भी पुलिस प्रशासन का कोई भी बड़ा और सकारात्मक कदम रतलाम शहर के यातायात को लेकर नहीं उठ रहा है। अब तो इन सब बातो को नज़रंदाज़ करते हुए यही कहा जा सकता है कि कभी ना कभी तो सुधरेंगी शहर की यातायात व्यवस्थाए।