वेतन शासन का और फायदा निजी अस्पताल का, जानिए क्या है मामला…

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News By – team News India 365

रतलाम जिला चिकित्सालय अपनी अव्यवस्थाओं कुप्रबंधन एवं भ्रष्टाचार एवं भ्रष्टाचार के लिए अक्सर सुर्खियों में रहता है। आज एक वाकिया और ऐसा हो गया जिससे पता चलता है कि यहां के चिकित्सकों का व्यवस्था एवं प्रबंधन में कितना दबदबा है। साथ ही कुछ निजी चिकित्सालयों की शह पर पर यहां के चिकित्सक सामान्य जनता के उपचार की जगह निजी प्रैक्टिस को कितनी तवज्जो देते हैं। अस्पताल प्रबंधन और जिला प्रशासन भी मूकदर्शक एवं बेबस होकर इनके सामने नतमस्तक है। यहाँ के कुछ चिकित्सक शासन से वेतन लेकर निजी प्रैक्टिस को बढ़ावा देते प्रतीत होते है। सरकार और प्रशासन की।मंशा के विपरीत जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों को निजी अस्पताल एवं क्लिनिक पर भेजने की कोशिश की जाती है। चिकित्सकों का शासन से वेतन लेकर निजी प्रैक्टिस को तवज्जों देने का आरोप कोई नया नहीं है।

वाकिया कुछ इस प्रकार है कि रतलाम शासकीय मेडिकल कॉलेज के डॉ सुधांशु शर्मा सह प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष है एवं जिला अस्पताल में चर्म रोग विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक है। शहर के एक निजी चिकित्सालय ने इन्हें दिल्ली का सुप्रसिद्ध डॉक्टर दिखाकर अपने अस्पताल के प्रचार हेतु एक बड़ा बैनर जिला अस्पताल के मुख्य द्वार पर ही लगा रखा है। जो कि यह स्पष्ट दिखाता है कि जिला अस्पताल के कुछ चिकित्सक बेखौफ होकर रतलाम जिले की जनता का जिला चिकित्सालय में उपचार करने की जगह, इन्हें निजी चिकित्सालय पर भेजने के प्रयास में लगे रहते हैं। इससे गरीब एवं बेबस जनता को समय पर उपचार तो मिलता नहीं है लेकिन इनकी जेब से मोटा पैसा खर्च हो जाता है। अस्पताल प्रबंधन और जिला प्रशासन कहने को तो बड़े-बड़े दावे करता है लेकिन इन घटनाओं से स्पष्ट हो जाता है कि उनका चिकित्सालय एवं चिकित्सकों पर कोई अंकुश एवं डर नहीं है। ऐसे में प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ एवं स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट कितने भी दावे कर ले लेकिन बदलाव के नारे के साथ आई प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार एवं कुप्रबंधन के क्षेत्र में कुछ भी सकारात्मक बदलाव नहीं ला पाई है।