News By – नीरज बरमेचा / विवेक चौधरी
रतलाम। कोविड19 कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते पूरा भारत 22 मार्च से लॉक डाउन की स्थिति में है। प्रधानमंत्री के आह्वान पर सबसे पहले 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगाया गया। फिर रतलाम के आला अधिकारियों ने 22 की शाम को मीडिया को बताया कि 25 मार्च की रात तक लॉक डाउन की स्थिति रहेगी और उसके पश्चात प्रधानमंत्री की घोषणा पर यह 21 दिनों के लिए और बढ़ा दिया गया। यह समझा गया कि सम्पूर्ण भारत मे लॉक डाउन करने का उद्देश्य यह था कि कोरोना वायरस के सभी संभावित कैरियर को ढूंढा जाए और यदि इसके माध्यम से कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाया जाए तो उसका उपचार हो और उसके सम्पर्क वालों को आवश्यकता अनुसार आईसोलेशन अथवा क्वारेंटाईन किया जा सकें। आवश्यक वस्तुओं की सीमित समय मे बिक्री हो तथा आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर पूरा दिन सभी जगह लॉक डाउन रहे। वर्तमान समय मे कोरोना वायरस को चीन के वुहान शहर से पूरे विश्व मे संक्रमित होना माना जा रहा है। चीन के अलावा अन्य देशों में इस वायरस के संक्रमित होने के पश्चात विदेश से भारत में आने वालों को क्वारेंटाईन करने अथवा आईसोलेशन में भेजने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई हैं।
रतलाम शहर और जिले में अनेक ऐसे लोग है जो हाल ही में विदेश यात्रा करके लौटे है। भारत आने और एयरपोर्ट पर इनकी स्क्रीनिंग एवं हेल्थ चेकअप किया गया। स्वस्थ पाए जाने पर इन्हें अपने घर जाने और “14 दिन” के लिए क्वारेंटाईन होने की हिदायत दी गई। विभिन्न समाचारों के माध्यम यह पता चलने पर कि विदेश यात्रा से भारत लौटे यात्री कोरोना पॉजिटिव अथवा कैरियर हो सकते है, रतलाम शहर के सोशल मीडिया पर एक लिस्ट वायरल होने लगी। जिसमे जिले के अनेक ऐसे नागरिकों के नाम की सूची थी जो विदेश प्रवास से लौटे थे। हालांकि प्रशासन ने इसकी पुष्टि नहीं की थी। लेकिन ऐसा प्रतीत हुआ कि प्रशासन इस सूची को लेकर उतना गंभीर नहीं था, जितना उसे होना चाहिए था। उसकी प्राथमिकता लॉक डाउन ही नज़र आ रही थी। जबकि उसे यह भी ध्यान देना था कि जो हाल ही में विदेश प्रवास से रतलाम आये है, क्या वो अपने घरों पर क्वारेंटाईन मोड में है? क्या उनका स्वास्थ्य ठीक है? क्या उनके शरीर मे कोरोना के लक्षण तो नही है? क्या उनके नज़दीकी संबंधी भी स्वस्थ है? लेकिन ऐसी कयावद ना तो होती हुई नजर आई ना ही प्रशासन ने इन बातों को मीडिया के साथ साझा करने की कोशिश की।
सोमवार 30 मार्च को सूचना मिली कि शहर के कई ऐसे घरों के बाहर प्रशासन द्वारा नोटिस चस्पा किये गए है, जिनके रहवासी ने हाल ही में विदेश यात्रा की है। इस नोटिस पर “I care for Ratlam, Covid19” के साथ लिखा गया है “Do Not Visit” । इसके साथ सामाजिक दूरी और घर के क्वारेंटाईन होने की भी सूचना हैं। लेकिन कई घर ऐसे थे जिनके रहवासी 3 हफ्ते या दो हफ्ते पहले भारत आ गए थे। अर्थात उनका क्वारेंटाईन पीरियड 14 दिन का समाप्त हो चुका था। और वे स्वस्थ हैं। न्यूज़ इण्डिया 365 को ऐसे भी नोटिस मिले जिनमे व्यक्ति के भारत आगमन की तारीख तो लिखी थी लेकिन क्वारेंटाईन पीरियड कब खत्म होगा यह नहीं लिखा था। किसी जगह संबंधित व्यक्ति को यह बताया भी नहीं गया कि कब तक है और किसी को बताया गया कि अब यह क्वारेंटाईन पीरियड कुल मिलाकर 28 दिन का रहेगा।
बड़ा प्रश्न यह है कि जब विदेश प्रवास करने वालो की सूची सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थी तब प्रशासन सचेत क्यों नहीं हुआ? जिस क्वारेंटाईन पीरियड को 14 दिन से बढ़ाकर 28 दिन का कर दिया गया है, क्या उसका निर्देश स्वास्थय मंत्रालय से आया है या किसी अन्य विभाग से? WHO ने क्या इस प्रकार की कोई दिशानिर्देश जारी किए है क्या? इस पूरे प्रकरण में मीडिया के माध्यम से कोई जानकारी क्यों नहीं दी गई? इतने विलंब से सूचना चस्पा करने की क्या वजह रही? विलंब होने से कोई व्यक्ति अनजाने में संक्रमण का शिकार हो सकता था। यह तो शहर की किस्मत अच्छी थी कि इस व्यक्तियों में से अभीतक किसी के बीमार होने अथवा कोरोना लक्षण दिखने की जानकारी नहीं मिली है। यद्यपि क्वारेंटाईन करने की प्रक्रिया संबंधित व्यक्ति के लिए, उसके निकट सगे संबंधियों के साथ जनसामान्य के हित मे ही है लेकिन यह प्रशासनिक चूक रतलाम पर भारी पड़ सकती थी।