COVID19 – कोरोना संक्रमित मृतक के रतलाम में दफनाए जाने की चूक के बाद प्रशासनिक उठापठक

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News By – नीरज बरमेचा & विवेक चौधरी

04 अप्रैल 20202 को इंदौर में कोरोना से संक्रमित मृतक मोहम्मद कादरी के रतलाम में दफनाए जाने की चूक के बाद प्रशासनिक उठापठक प्रारंभ हो गई। 22 मार्च को प्रारंभ हुए लॉक डाउन के पश्चात से रतलाम कोरोना वायरस के कहर से अछूता रहा है। अब इस घटना के पश्चात शहर पर संकट के बादल मंडरा रहे है। हर रतलामवासी, प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारी आशा अपेक्षा है कि रतलाम इस संकट से बच जाएगा। इस घटना से अनेक प्रश्न खड़े हो गए है और यहाँ किसी अकेले व्यक्ति या विभाग ही नहीं, अनेको की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। लापरवाही की शुरुआत तब हुई, जब कोरोना के हॉटस्पॉट इंदौर के एम वाय हॉस्पिटल में जब कोरोना संदिग्ध मृतक का सैम्पल लिया गया था। यदि उसे संदिग्ध समझा गया तो पुष्टि होने से पहले शव को उसके परिजनों को क्यों सौंप दिया गया? कोरोना संदिग्ध एवं पीड़ित के शव निष्पादन का प्रोटोकॉल क्यों नहीं अपनाया गया। मृतक के परिजनों द्वारा तथ्य छुपाने, शव को रतलाम लाने और दफनाने इत्यादि के भी गंभीर आरोप है। उनके द्वारा रतलाम प्रशासन को सूचित ना करना भी एक गंभीर चूक है। रतलाम में शव का प्रवेश और दफनाने की प्रक्रिया ने भी रतलाम प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है। दो फर्जी पत्रकारों की संलिप्तता की भी खबर मिल रही है। लेकिन शव के आने से लेकर दफनाने की प्रक्रिया में सम्मिलित अथवा साक्षी रहे व्यक्तियों की भी नैतिक और विधिक जवाबदेही थी। बहरहाल यह समय प्रकरण के पोस्टमार्टम करने का नहीं है, अपितु पुलिस, प्रशासन और समाज के सम्मिलित प्रयास करने का है। संयम के साथ नियमों के पालन का है।

कलेक्टर ने मुख्य सचिव को लिखा पत्र

कोरोना संक्रमित पाए गए व्यक्ति मोहम्मद कादरी उर्फ बाबू भाई उम्र लगभग 60 वर्ष, जिनका मृत्यु पश्चात अंतिम संस्कार रतलाम में किया गया, उनका कोरोना जांच हेतु सैंपल लिए जाने की जानकारी इंदौर जिला प्रशासन द्वारा रतलाम जिला प्रशासन को नहीं दी गई थी। अतः इस संबंध में कलेक्टर रुचिका चौहान द्वारा प्रदेश के मुख्य सचिव एवं उज्जैन संभागायुक्त को भी पत्र भेजा गया है। मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में कलेक्टर रतलाम ने स्पष्ट किया है कि मृतक के कोरोना जांच हेतु सैंपल लेकर लेबोरेटरी भेजने के संबंध में इंदौर जिला प्रशासन द्वारा रतलाम जिला प्रशासन को सूचित नहीं किया गया एवं शव का अंतिम संस्कार संभावित कोविड-19 पॉजिटिव मानकर नियत प्रोटोकॉल अनुसार नहीं करवाया गया जो एक गंभीर त्रुटि है। जबकि इस संदर्भ में एम वाय हॉस्पिटल इंदौर के डॉ राहुल रोकड़े का कहना है कि सैम्पल रिपोर्ट आने के बाद ही संदिग्ध का शव परिजनों को सुपुर्द करना है, ऐसी गाइड लाइन की जानकारी उन्हें नहीं है। यहाँ न्यूज़ इंडिया 365 का मत यह है कि इस संदर्भ के रतलाम प्रशासन द्वारा पुष्टि होने तक शव रोकने की प्रक्रिया ज्यादा उचित एवं सुरक्षित है।

एसडीएम रतलाम ग्रामीण जांच अधिकारी नियुक्त

कलेक्टर ने यह भी बताया है कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति के शव के रतलाम जिले की सीमा में प्रवेश की जांच हेतु रतलाम ग्रामीण एसडीएम प्रवीण फूलपगारे को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। जांच अधिकारी द्वारा विभिन्न तथ्यों के आधार पर विस्तृत जांच की जाएगी की जिले की सीमा में संक्रमित व्यक्ति का शव किन परिस्थितियों में प्रवेश कराया गया। यहाँ यह बताना भी आवश्यक है कि शव को रतलाम लाने और दफनाने की पूरी प्रक्रिया सम्पन्न होने से जिले के खुफिया तंत्र पर भी सवाल खड़े करता है। क्योंकि बताया यह जा रहा है कि इस घटना की सूचना प्रशासन को सोशल मीडिया से मिली है।


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