कोरोना वायरस मानव शरीर में उम्मीद से अधिक दिनों तक रह सकता है। ताजा मामलों में सामने आया है कि यह खतरनाक वायरस मानव शरीर में कई सप्ताह और कुछ मामलों में महीनों तक रह सकता है।
चार्ल्स पिगनल (42) में वायरस के लक्षण सामने आने बाद उनके चार मार्च को कोरोना से संक्रमित होने की पुष्टि हुई। अस्पताल में बिताए गए दो दिनों के दौरान, उन्हें न तो खांसी हुई और न ही तेज बुखार आया। पिगनल स्वस्थ महसूस कर रहे थे और उन्हें लगा कि उनमें केवल कोरोना के हल्के लक्षण थे।
लेकिन बिना किसी लक्षण और संकेत के पिगनल पांच हफ्तों बाद एक बार फिर जांच में पॉजिटिव पाए गए। आखिरकार पॉजिटिव परीक्षण पाए जाने के 40 दिनों के बाद सिंगापुर के नेशनल सेंटर फॉर इंफेक्शियस डिसीज के आइसोलेशन वार्ड से उन्हें छुट्टी दे दी गई। 24 घंटे के भीतर किए गए दो जांच के दौरान उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई, जिसके बाद अस्पताल प्रशासन ने उन्हें छुट्टी दे दी।
पिगनल जैसे मामले दुनियाभर में सामने आ रहे हैं। ऐसे मामलों को लेकर दुनियाभर के डॉक्टर और चिकित्साकर्मी हैरान हैं कि आखिर कुछ मरीजों के शरीर में वायरस खत्म क्यों नहीं हो रहा है। वो भी तब, जब ये मरीज दूसरी किसी बीमारी से ग्रसित नहीं है।
दक्षिण कोरिया में हालिया निष्कर्षों में पाया गया कि कोविड-19 से ठीक होने के बाद भी शरीर में वायरस के मृत टुकड़े महीनों तक रह सकते हैं। पिगनल मार्च के शुरुआती महीने में काम के सिलसिले से लंदन गए थे और उन्हें विश्वास है कि वह वहीं पर वायरस की चपेट में आए।
अस्पताल में कुछ दिन बिताने के बाद ही वे स्वस्थ महसूस करने लगे और उन्होंने अपनी मां से कहा कि वह कुछ दिनों में यहां से ठीक होकर घर लौट आएंगे। लेकिन उनके नतीजे पॉजिटिव पाए जाते रहे, जिसके बाद उन्होंने अपने डॉक्टर से पूछा कि क्या वह अभी भी संक्रमित है। डॉक्टर ने कहा कि हम इस बारे में पूरी तरह नहीं जानते, लेकिन इसका कोई सबूत नहीं है कि आप में जो लक्षण हैं वह संक्रामक है या नहीं।
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों के अनुसार, कोरोना वायरस से ठीक माने जाने के लिए, मरीज को 72 घंटों तक बुखार नहीं होना चाहिए। इसके अतिरिक्त, व्यक्ति के श्वसन स्वास्थ्य में भी सुधार दिखना चाहिए और 24 घंटे के दौरान उसकी दो जांच रिपोर्ट नेगेटिव आनी चाहिए।
साभार – अमर उजाला