नशा मुक्ति के लिए जस्ट ए कॉल अवे कैंपेन आरंभ किया गया

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News by- नीरज बरमेचा 

  • नशामुक्त होने के लिए नशा पीड़ित अथवा उसके परिजन हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके मदद प्राप्त कर सकते हैं  

रतलाम 14 अक्टूबर 2020/ समाज में नशे से जो पीड़ित व्यक्ति हैं वह व्यक्ति अथवा उसके परिजन नशा मुक्त होने के लिए नेशनल ड्रग हेल्पलाइन नंबर 1844 289 0879 या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रतलाम के दूरभाष क्रमांक 07412 231451 टोल फ्री नंबर 15100 पर कॉल करके मदद प्राप्त कर सकते हैं अथवा सबसे महत्वपूर्ण सहायता समूहों के नंबर से बात करके भी मदद प्राप्त कर सकते हैं। सहायता समूह में उन व्यक्तियों के नंबर है जो पूर्व में नशा पीड़ित थे परंतु अब नशामुक्त हो चुके हैं वह अब अन्य नशा पीड़ितों की मदद करते हैं। सहायता समूह नंबरों में 83583 92222 या 79996 6097 जीरो या 94073 89689, 96696 63303 या 77738 33330 पर संपर्क करके सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

यह जानकारी नशामुक्त समाज की स्थापना के संदर्भ में आरंभ किए गए जस्ट ए कॉल अवे कैंपेन के तहत 14 अक्टूबर को आयोजित शिविर में दी गई। शिविर में मुख्य अतिथि के रूप में जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण शोभा पोरवाल, अतिथि रूप में मुंबई के मनोचिकित्सक आशीष देशपांडे एवं सेवानिवृत्त आईपीएस वेदप्रकाश ऑनलाइन उपस्थित थे। इसके अलावा पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी, अपर जिला न्यायाधीश साबिर अहमद खान, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुनील पाटीदार, जिला विधिक सहायता अधिकारी पूनम तिवारी आदि शिविर में उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि नालसा (नशा पीड़ितों को विधिक सेवाएं एवं नशा उन्मूलन के लिए विधिक सेवाएं) योजना के तहत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रतलाम तथा पुलिस प्रशासन के संयुक्त तत्वाधान में जस्ट ए कॉल अवे कैंपेन आरंभ किया गया है।

जिला न्यायाधीश शोभा परवाल ने अपने उद्बोधन में आज के समय में नशामुक्ति की महती आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रतलाम द्वारा इस आवश्यकता को चिन्हित कर चरणबद्व रूप से माह-अप्रैल से लगातार कार्य किया जा रहा है। इस नशामुक्ति कार्यक्रम में पुलिस प्रशासन का सहयोग प्रशंसनीय है। जिला प्राधिकरण एवं पुलिस प्रशासन के परस्पर सहयोग से संचालित इस प्रकार के कार्यक्रमों से नशामुक्ति अभियान को एक नई दिशा मिलेगी।

पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी ने अपने उद्बोधन में बताया कि पुलिस के चुनौतीपूर्ण कार्य की परिस्थितियां उन्हें एकांकी बनाती हैं। जिसके लिए उन्हें नशे का सहारा लेने की जगह सकारात्मक विकल्पों को ढूंढ़ना चाहिए और नशे से दूर रहना चाहिए। नशामुक्ति के लिए आमजन सहित पुलिस बल के सदस्यों की सहायता करने के लिए पुलिस प्रशासन तत्पर है।

मनोचिकित्सक आशीष देशपांडे ने बताया कि नशा एक आदत नहीं बल्कि एक बीमारी है और इसका ईलाज भी है। जिसके लिए मनोचिकित्सक की सहायता ली जा सकती है एवं एल्कोहॉलिक एनोनिमस एवं नारकोटिक्स एनोनिमस जैसे सहायता समूहों की सहायता से नशामुक्त हुआ जा सकता है।

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश साबिर अहमद खान द्वारा अपने उद्बोधन में बताया गया कि नशा एक समाजिक अभिशाप है। उनके द्वारा नशीले पदार्थों से होने वाले प्रभाव तथा प्रचलित विधिक प्रावधान, अधिनियम के साथ ही नालसा (नशा पीड़ितों को विधिक सेवाएं एवं नशा उन्मूलन के लिए विधिक सेवाएं) योजना, 2015 का उद्देश्य भी विस्तार से बताया गया।

कार्यक्रम का परिचय देते हुए जिला विधिक सहायता अधिकारी पूनम तिवारी द्वारा बताया गया कि यह नशामुक्ति अभियान में कोई भी नशापीड़ित अथवा उसका परिवार दिये गये हेल्पलाईन नंबरों पर संपर्क कर सकता है। जिसमें उसे अपनी पहचान बताना आवश्यक नहीं है। कार्यक्रम का संचालन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुनील पाटीदार द्वारा किया गया। शिविर में एल्कोहॉलिक एनोनिमस ग्रुप के सदस्य इंदौर, भोपाल, रतलाम एवं पुलिस विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारीगण तथा विजय शर्मा, पैरालीगल वालेंटिर्य आदि उपस्थित थे।