कांग्रेस ने किसान कानून के खिलाफ निकाली ट्रेक्टर रैली, सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर जताया आक्रोश…

0

रतलाम। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि बिल के विरोध और दिल्ली-पंजाब बॉर्डर पर 27 नवंबर से चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में मंगलवार को जिला कांग्रेस कमेटी और शहर कांग्रेस कमेटी के संयुक्त तत्वावधान में ट्रैक्टर महारैली और महासभा का आयोजन रतलाम शहर में किया गया। करीब 1 हजार ट्रैक्टरों और हजारों की संख्या में मौजूद कांग्रेस कार्यकतार्ओं और नेताओं का नेतृत्व पूर्व मंत्री एवं सासंद सज्जनसिंह वर्मा, पूर्व कृषि एवं प्रभारी मंत्री सचिन यादव, पूर्व केंद्रीयमंत्री और विधायक कांतिलाल भूरिया जिलाध्यक्ष राजेश भरावा विधायक हर्ष विजय गेहलोत, मनोज चावला सहित जिले के वरिष्ठ नेताओं ने किया।

ट्रैक्टर महारैली की शुरूआत अलकापुरी चौराहे से हुई जहां पूर्व कृषि एवं प्रभारी मंत्री सचिन यादव ने स्वयं ट्रैक्टर चलाया। उसी ट्रैक्टर में पूर्व मंत्री एवं सासंद सज्जनसिंह वर्मा, पूर्व केंद्रीयमंत्री और विधायक कांतिलाल भूरिया, कांग्रेस जिलाध्यक्ष राजेश भरावा , आलोट विधायक मनोज चावला, पूर्व जिपं उपाध्यक्ष डीपी धाकड़, पूर्व जिपं उपाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह सोलंकी और  भी सवार थे। सैलाना विधायक हर्षविजय गेहलोत ने भी दूसरा ट्रैक्टर चलाया जिसपर युवा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया बैठे थे। अन्य ट्रैक्टरों पर भी कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता सवार थे। ट्रैक्टरों के पीछे सैकड़ों की संख्या में बाईक पर सवार युवा और बुजुर्ग तथा महिलाएं भी हाथों में कांग्रेस का ­झंडा थामे निकले। रैली सैलाना बस स्टैंड, गायत्री टॉकीज रोड, शहर सराय, लोहार रोड, चांदनीचौक, चौमुखीपुल, नाहरपुरा, कॉलेज रोड होते हुए दोबत्ती पहुंची। पूरे रास्ते रैली में वरिष्ठ नेताओं का स्वागत करने और महारैली पर फूल बरसाने के लिए शहरवासियों ने मंच बनाए। शहर के लोग सड़क किनारे और घरों की छत पर चढकर रैली का वीडियो, फोटो लेते रहे।

जंजीरों में जकड़ा रहा एक किसान…..
दोबत्ती पर हुई महासभा में ट्रैक्टर ट्राली को ही मंच बनाया गया। कांग्रेस सभा में आए सभी वरिष्ठ नेताओं और अतिथियों का स्वागत फल भेंट करके किया गया।  इसपर वरिष्ठ नेताओं के साथ ही एक किसान खड़ा किया गया जो जंजीरों में जकड़ा रहा जिसने हाथों में पुंजीपतियों के हाथों में जकड़ा किसान लिखी हुई एक तख्ती पकडकर अपनी पीड़ा को व्यक्त किया।

राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देकर अध्यादेश निरस्त करने की मांग
सभा स्थल पर ही कांग्रेस नेताओं ने संबोधन समाप्त होने के बाद शहर एसडीएम अभिषेक गेहलोत को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नाम एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में तीनों कृषि अध्यादेश निरस्त करने की मांग की गई। ज्ञापन में बताया गया कि मोदी सरकार ने बिना किसी किसान संगठन की राय लिए इन अध्यादेशों को बनाया और लागू किया। अध्यादेश जिन राज्यों में पूर्व में लागू है उनकी असफलता, शोषण, महंगाई पर क्या प्रभाव होगा इसका उल्लेख नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अध्यादेश को होल्ड कर रखने का अंतरिम आदेश देकर इसपर परोक्ष प्रश्नचिन्ह खड़े किए हैं। शासन द्वारा प्रस्तुत बयान और हलफनामे में अधूरी और अपुष्ट बातें कही जाने पर कोर्ट ने भी गंभीर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने भी कानून पर विश्वास न कर कमेटी बनाने का निर्णय लिया है। अध्यादेश लागू होने के पूर्व ही 5 उद्योगपतियों ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में लाखों टन का भंडारण करने की व्यवस्था में हजारों करोड़ रुपए का निर्माण किया जो आश्चर्यजनक है। मोदी सरकार द्वारा एमएसपी तथा मंडी व्यवस्था चालू रखने के बारे में लिखित आश्वासन देने से भी इनकार करना, उनकी बदनियत को स्पष्ट जाहिर करता है। ऐसे में 27 नवंबर 2020 से आंदोलनरत किसानों के समर्थन में देश में हुए हजारों से ज्यादा प्रदर्शनों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। आंदोलन के दौरान 186 किसानों की मौत हो चुकी है और जीडीपी में कृषि का प्रतिशत गंभीर गिरावट दर्शा रहा है जो भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ की हड्डी है। ऐसे में गंभीरता से इस विषय पर निर्णय लिया जाए।

ये थे मौजूद….
प्रदर्शन में वरिष्ठ नेताओं के साथ ही जिलाध्यक्ष राजेश भरावा, जिपं उपाध्यक्ष डीपी धाकड़, कार्यवाहक अध्यक्ष दिनेश शर्मा, शहर अध्यक्ष महेंद्र कटारिया, प्रदेश महिला कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष यास्मीन शेरानी, पूर्व गृहमंत्री भारतसिंह ,आलोट से वीरेंद्रसिंह सोलंकी,  प्रदेश महासचिव निजाम काजी, युसुफ कड़पा जावरा,  सैलाना जगदीश पाटीदार, श्रीराम चौधरी, चैतन्य शुक्ला, जितेंद्र सिंह, जाहिद भाई, राजेश पुरोहित करमदी, शेरू पठान, भगवती पाटीदार, रामचंद्र धाकड़, सुशील नागर, दशरथ भाभर, अश्विन ओहरी, अभिषेक शर्मा, कैलाश हेमावत, दिलीप सिंह सोलंकी, सत्यनारायण जाट, नंदरामशाह, दिलीप मंडलोई, राधेश्याम चौहान, जगदीश पाटीदार हतनारा, तूफानसिंह सोनगरा, वंदन पुरोहित, राकेश सोलंकी, सुखदेव गेहलोत, श्रीनाथ योगी, टीकमसिंह सेजावता, तूफान पठान रिंगनोद आदि मौजूद थे।

किसने क्या कहा
मुझे गर्व है कि मै आजादी की लड़ाई लड़ने वाली पार्टी के दल का सदस्य हूूं लेकिन आज शर्मसार भी हूं कि मेरे देश का प्रधानमंत्री एक गुलाम आदमी है। मोदी को काला कानून लाने से पहले मेरे देश के 2 किसानो  को बुला कर राय ले लेते तो कानून एतिहासिक हो जाता । मोदी की गर्दन अकड़ी हुई है। मोदी जादूगर है, उनकी जेब में सीबीआई, इन्कम टैक्स, सीवीसी , आदि संस्थाए है , अब तो न्यायपालिका भी आ गई है। तोमर अच्छी पूर्व मंत्री हरसीमरत कौर है जिसने मोदी के कालें कानून लाने पर मंत्री पद से त्याग पत्र दे दिया।
सज्जनसिंह वर्मा , पूर्व मंत्री

मंडिया खत्म कर रहे है, समर्थन मूल्य समाप्त कर रहे है। यूपीए ने 72 हजार करोड़ माफ किया था। कमलनाथ सरकार ने भी कर्ज माफी का काम किया। शिवराजसिंह ने कभी एक रूपया कर्जा माफ नही किया। शिवराज ने किसानों काम धंधो पर बुलडोजर चलाने का काम किया है। 5 हजार से अधिक स्कूल प्रदेश में बंद करने का काम सरकार करने  जा रही है। इनको सबक सीखाना है।
कांतिलाल भुरिया, झाबुआ विधायक

इस रैली दिल्ली की  तानाशाही ताकतों को यह संदेश देना चाहते है कि जो मुठ्ठी भर लोगो को देश गिरवी रखना चाहते है, उन्हे बताना चाहते है, देश अन्नदाता के साथ है। दो लोगो के हितो में काम किए जा रहे है। कोरोना काल में  देश को अंधेरे में रखकर काले कानून लागू कर रहे है। तीनों कृषि कानून से अडानी , अंबानी जैसे लोगो तक फायदा होगा। अड़ानी ने पंजाब से दिल्ली तक बड़े बड़े वेयर हाउस बना लिए है।
 सचिन यादव , पूर्व कृषिमंत्री

दिल्ली में किसानो के आंदोलन को 55 दिन से अधिक हो गए है। काले कानून देश की रीड़ की हड्डी किसानो को तोड़ने का काम कर रहे है। बिना किसी किसान संगठन के , लोकसभा, राज्य सभा में बिना बहस के तानाशाही तरीके से काले कानून लाने की क्या जरूरत थी।  इस्ट इंडिया कंपनी ने जिस तरीके से देश पर कब्जा किया था, ऐसे ही ये कंपनिया कब्जा देश की अर्थव्यवस्था पर कब्जा कर लेगी। किसान कमजोर होगा तो रतलाम का बाजार प्रभावित भी होगा, देश भी कमजोर होगा।
हर्षविजय गेहलोत, विधायक  सैलाना

ये इस लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक काले कानून वापिस नही होगें। ये तीन काले कानून सिर्फ किसानों को प्रभावित नही करेगें। मंडियो से लगाकर बाजार सब प्रभावित होगें। इस सरकार से , मोदी से सबसे टकराएगें, जब तक संघर्ष करेगें जब तक काले कानून वापिस नहीं होगें।
विक्रांत भूरिया, प्रदेशाध्यक्ष युवक कांग्रेस

किसान एवं कांग्रेस कार्यकर्ता पर प्रशासन लगातार मुकदमें बना रहे है। हमने भी तय कर ले जब तक किसानो के लिए संघर्ष करते रहेगें जब तक गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में हमारें मुकदमें शामिल नही हो जाएगें। कलेक्टर कार्यालय से बाहर  नहीं निकलते है, चारो तरफ भ्रष्ट्राचार व्याप्त है। कलेक्टर को बाहर निकल कर किसानों की आवाज सुनना चाहिए । हम किसान , मजदूर  ,गरीब की आवाज उठाते रहेगें , चाहे कितनी ही बार जेल क्यों न जाना पड़े ।
राजेश भरावा , जिलाध्यक्ष

किसान कानून की आड़ में किसानों को बर्बाद  एवं पूंजीपतियो को लाभ पहुंचाने का खेल किया जा रहा है। जिले का प्रशासन भाजपा विधायक के घर गिरवी रखा हुआ है। गरीबो, मजदूरो, किसानो की आवाज दबाने की कोशिश हा रही है। इसे स्वीकार नहीं करेगें।
मनोज चावला ,विधायक आलोट