सैलाना विधायक हर्षविजय गहलोत एवं पूर्व महापौर पारस सकलेचा का मेडिकल कॉलेज प्रशासन पर बड़ा आरोप, जानिए क्या है मामला…

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फाइल कॉपी

News By – विवेक चौधरी

रतलाम। कोविड उपचार केंद्र के रूप में कार्य कर रहे शासकीय मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन पर गंभीर आरोप लग रहे है। सैलाना विधायक हर्षविजय गेहलोत एवं पूर्व महापौर एवं कांग्रेस नेता पारस सकलेचा ने मेडिकल कॉलेज प्रबंधन एवं प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रशासन कोरोना मरीजों का गंभीरता से उपचार नही कर रहा है। विधायक गहलोत में मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ शशि गाँधी को पत्र के माध्यम से उपचाररत मरीजों के संदर्भ में गैरजिम्मेदाराना रवैए के आरोप लगाया है। विधायक ने 14 अप्रैल से 17 अप्रैल तक जिन मरीजों की छुट्टी की गई है, उनकी विस्तृत जानकारी मांगी है तथा डीन को अपने स्तर पर मूल्यांकन करने को कहा है, कि कहीं उन्हें जबरन छुट्टी तो नहीं की गई है? साथ ही पत्र में डीन को यह हिदायत दी गई है कि सिर्फ आंकड़ों के सामंजस्य बनाने के लिए आप शहर को गंभीर संक्रमण की स्थिति में ना डालें।

वहीं पूर्व महापौर पारस दादा ने अपने पर दर्ज हुए प्रकरण पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि मेडिकल कॉलेज में अपनी कमजोरी छिपाने तथा आंकड़ों का खेल खेलने के लिए के लिए गंभीर मरीजों को भी जबरन छुट्टी दी जा रही है। उन्होंने डीन डॉ शशि गांधी और उनके प्रकरण में भेदभाव बरतने का भी आरोप लगाया है। आपको बता देंवें कि बढ़ते संक्रमण के इस नाजुक दौर में रतलाम के कोविड हॉस्पिटल की स्थिति बड़ी चिंताजनक हो गई है। प्रशासन और कॉलेज प्रबंधन पर मरीजों के परिजनों द्वारा गंभीर आरोप लगाया जा रहा है। बेड के लिए मारामारी, रेमेडेसीवेर की कालाबाज़ारी और मरीजों के उपचार में लापरवाही के आरोप लगना चिंता का विषय है।

पारस सकलेचा ने एक वीडियो जारी करके आरोप लगाया है कि जिला प्रशासन और मेडिकल कालेज कोरोना प्रकोप पर उचित समय में उचित कदम उठाने में बुरी तरह असफल रहा है। व्यवस्था पूर्णता पंगु हो गई है , तथा इस संदर्भ में जनप्रतिनिधियों द्वारा दी जा रही उचित सलाह को भी नजरअंदाज किया जा रहा है। ऐसा लगता है जैसे कि कि प्रशासन किसी की कठपुतली की तरह काम कर रहा है। आपदा प्रबंधन के अंतर्गत , आपदा को रोकने की जगह , लोगों की , जनप्रतिनिधियों की सही सलाह और समालोचना को रोकने का प्रयास किया जा रहा है ।

अपने ऊपर दर्ज किए गए प्रकरण पर पारस दादा का कहना है कि यह जानकर सुखद आश्चर्य हुआ कि मेरे पर मेडिकल कालेज जाने पर, प्रकरण दर्ज कर दिया गया है। जबकि तथ्यात्मक रूप से प्रकरण दर्ज करने के कोई कारण नहीं बनते हैं, लेकिन मेडिकल प्रशासन अपनी नाकामी छुपाने के लिए यह कार्य कर रहा है। यह बड़ी चिंता की बात है कि मेडिकल कॉलेज मे पर्याप्त संसाधन नहीं है, राष्ट्रीय हेल्पलाइन 1075 पर फोन लगाने पर यह जवाब मिलता है कि वहां पर बेड खाली नहीं है, मरीजों को भर्ती करने से इनकार किया जा रहा है। तथा आप अपनी कमजोरी छिपाने तथा आंकड़ों का खेल खेलने के लिए के लिए गंभीर मरीजों को भी जबरन छुट्टी दी जा रही है। यंहा तक की जिस मरीज का सीटी स्कोर 21 है, उसे भी जबरन छुट्टी दे दी गई। ऐसी गंभीर लापरवाही पर शहर में कोरोना का प्रकोप और बढ़ सकता है , तथा जिन मरीजों को जबरन छुट्टी दी जा रही है, उनकी जान को भी खतरा रहेगा ।

पारस सकलेचा ने गंभीरता से आरोप लगाया है कि मेडिकल कॉलेज में समय पर इलाज नहीं हो रहा है, प्रतिदिन मरने वालों की संख्या मे कंट्रोल ही नहीं हो रहा है, तथा मृतकों की उम्र का अगर औसत निकाला जाए तो 40 से 45 के बीच आ रहा है, जो बहुत ही चिंता की बात है , और इस ओर इशारा करती है कि इलाज में कहीं गंभीर लापरवाही हो रही है। कोरोना पाजिटिव की विस्फोटक स्थिति आने पर डॉक्टरों की भर्ती का कार्य किया जा रहा है, स्टाफ की भर्ती का कार्य किया जा रहा है, जो यह दिखाता है कि प्रशासन योजनाबद्ध तरीके से काम नहीं कर रहा है। मेडिकल कॉलेज की डीन पाजिटिव होने के बाद, सात दिन में ही कार्य पर उपस्थित हो गई, ऐसे में मेरे पर प्रकरण दर्ज करना जबकि में नियमानुसार था, यह दिखाता है कि प्रशासन किसी के हाथ की कठपुतली बना हुआ है। तथा कोरोना के नाम पर राजनीति की जा रही है।


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