रतलाम नगर निगम में स्वागत है, जहाँ पशुओं की फौज, करती है मौज…

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News By – विवेक चौधरी

रतलाम। आपका रतलाम शहर में स्वागत है। यह वह शहर है जहाँ पशुओं की फौज, करती है मौज। आप नगर की किसी भी कॉलोनी, मोहल्ले या बाज़ार में चले जाएं, आप पाएंगे उन्मुक्तता के साथ विचरण करते गाय बैल बकरे और झुण्ड में श्वान अर्थात कुत्ते। अब ये नगर के नागरिकों और वाहन चालकों के दायित्व है कि आप अपने आप को इन सब जीवों के बचते बचाते कैसे निकल पाते है। कुत्तों की बढ़ती फौज शहर में बढ़ती चोरियां कम क्यों नहीं कर पा रही है यह अपने आप में विश्लेषण का विषय हो सकता है लेकिन शहर में कुत्तों का आतंक तो चर्चा का विषय है ही। क्योंकि शहर में कुत्तों के झुण्ड नगर में सर्वव्यापी है।

शहर में लाल पीले गुलाबी इत्यादि कलर वाली पानी की बोतलें घर दुकानों के बाहर खड़े वाहनों, दरवाजो, बाउंड्रीवाल जैसी जगहों पर देखे जा सकते है। जो कुत्तों के आतंक से बचने का उपाय है। यह कितना कारगर है इसका वैज्ञानिक स्पष्टीकरण अभी भी सामने नहीं आया है। जहाँ एक ओर प्रधानमंत्री देश मे स्वच्छता अभियान चला रहे है वहीं दूसरी ओर ये पशु गली मोहल्लों में गंदगी फैला रहे है। निगम के सफाईकर्मी तो अपने चारपहिया वाहन में बैठकर गाने बजाते हुए आते है, नीचे उतरते नहीं है इसलिए इस गंदगी को साफ करने का दायित्व रहवासियों पर ही रहता है। रतलाम वही शहर है जहाँ पशुओं की फौज, करती है मौज।

कोरोनाकाल में घरबन्दी के बाद सभी को बाहर जाना पसंद होने लगा है। स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने से सुबह शाम टहलने की प्रवृत्ति भी बढ़ी है लेकिन इन नागरिकों के सामने कुत्तों का आतंक भी है। कुत्तों की बढ़ती संख्या कहीं कहीं विवाद का विषय भी बन रही है। पशुप्रेमी जीवदया वाले भी पशुओं के संरक्षण में सक्रिय है लेकिन निरंकुश निगम के अधिकारियों को अपने जिम्मेदारियों के प्रति कोई चिंता नहीं है। पिछले 3-4 साल से बधियाकरण की बात सुन रहे है लेकिन धरातल पर कुछ नहीं दिख रहा है। लोग सोशल मीडिया पर अब गौशाला की तर्ज़ पर “कुत्ताशाला” खोलने की मांग करने लगे है। कोरोनकाल में बच्चों में टीवी मोबाइल की बढ़ती लत देखी गई थी, जिसका विकल्प तो बच्चों का बाहर खेलना कूदना ही है लेकिन कुत्तों के आतंक से इसमें भी विघ्न बाधाएं है। सोशल मीडिया पर डॉग बाइट्स और आवारा पशुओं की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं के वीडियो आसानी से मिल जाएंगे।

यह आवश्यक है कि शहर के निर्वाचित जनप्रतिनिधिगण, प्रशासन और नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारीगण तथा जीवदया प्रशुप्रेमी व्यक्ति संस्था आपस में मिल बैठकर इस समस्या का ठोस समाधान निकाले। बधियाकरण मात्र घोषणा ही नहीं, धरातल पर भी नज़र आए। आवारा पशुओं से होनेवाली दुर्घटनाओं पर जिम्मेदारियां तय हो। कड़ी कार्यवाही हो तभी कोई समाधान संभव होगा।

उपरोक्त समस्याओं को लेकर भाजपा से जुड़े वरिष्ठ मीसाबंदी महेंद्र नाहर ने भी सोशल मीडिया पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। अपनी पोस्ट में महेंद्र नाहर ने अपनी पार्टी को भी लपेट लिया। निरंकुश अधिकारियों द्वारा जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा, गौशाला की तर्ज़ पर कुत्ताशाला खोलने की बात कही। प्रदेश में शेर और चीताओं के लिए बाड़े बन रहे है, उसी तरह कुत्तों के लिए बाड़े बनाने तथा कुत्ता और पशुमुक्त स्मार्ट सिटी की घोषणा करने वाले को वोट देने की बात भी लिखी।


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