कर्जमाफी बोझ कम करने के लिए ‘एक अफसर, एक कार फॉर्मूला’ को कमलनाथ सरकार ने अपनाया

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फाइल फ़ोटो

मध्यप्रदेश में कर्जमाफी के बाद अब कमलनाथ सरकार खजाने पर पड़े बोझ को कम करने की कवायद में जुट गई है। किसानों के कर्जमाफी के बाद 55 हजार करोड़ के खर्च का असर आने वाले वित्तीय वर्ष में भी दिखाई दे सकता है। यही वजह है कि सरकार अब अपने खर्चों में कटौती करने जा रही है। कहा जा रहा है कि सरकार ‘वन ऑफिसर, वन कार’ के फॉर्मूले के साथ आई है। इसके तहत मंत्री और अफसर एक ही गाड़ी रख सकेंगे।

फैसले के बाद जिनके पास निगम, मंडल या बोर्ड के एक से ज्यादा वाहन हैं उन्हें वह लौटाने होंगे। सोमवार से यह आदेश लागू हों चुका है। इसके साथ ही वित्त मंत्रालय ने पुरानी व्यवस्था में परिवर्तन करते हुए सभी विभागों से जरूरी जनकल्याण के काम और उन्हीं के प्रस्ताव लेखानुदान में शामिल करने के लिए भेजे जाएं।

एक फरवरी से शुरू होगा बजट सत्र
18 फरवरी से शुरू हो रहा बजट सत्र सरकार अगले पांच महीनों के खर्च के लिए 70 हजार करोड़ का लेखानुदान लाने जा रही है। बजट सत्र 18 फरवरी से शुरू होकर 21 फरवरी तक चलेगा। इस साल प्रदेश सरकार को पिछले साल के मुकाबले जीएसटी की राशि हर महीने 350 करोड़ ज्यादा मिलने की संभावना है। इससे सरकार को किसानों की कर्जमाफी की राशि की भरपाई करने में थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।

मौजूदा वित्तीय वर्ष में केंद्र से जीएसटी की राशि हर महीने 1850 करोड़ रुपए मिल रही है, इसमें अभी तक कोई कमी नहीं आई है। आने वाले वित्तीय वर्ष 2019-20 में मिलने वालीअनुमानित राशि – 25890 करोड़ रुपए है। सरकार को 1 अप्रैल 2019 से मिलेेंगे 2157 करोड़ रुपए हर महीने मिलेंगे। 

वाहन, स्टेशनरी के खर्चे में होगी कटौती
जरुरी सड़कों की मरम्मत के लिए 5500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। यह जरुरी राशि से 2500 करोड़ रुपए कम है। लोक निर्माण विभाग को सड़कों के लिए अगले दो महीने में 1000 करोड़ की जरूरत पड़ेगी। सरकार का स्थापना बजट लगातार बढ़ रहा है।

साल भर में 42 हजार करोड़ की जरुरत है जिनमें कर्मचारियों और अफसरों के वेतन और अन्य भत्तों का खर्च 30 हजार करोड़ के लगभग है। बाकी के 12 हजार करोड़ सरकारी करयालों में फर्नीचर और स्टेशनरी और वाहनों पर खर्च होने हैं। इनमें कमी लेन का फैसला हुआ है। इस राशि को कर्जमाफी के पैसों से समाहित किया जाएगा।  

नई सड़कें जो अति आवश्यक हैं और पुरानी जिनकी मरम्मत की जरूरत है,उनके लिए करीब 5500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया जा रहा है। सड़कों के लिए जरूरत 7500 करोड़ रुपए की है, जिसमें करीब 2500 करोड़ रुपए की कटौती होगी। मार्च तक लोक निर्माण विभाग को सड़कों के लिए 1000 करोड़ रुपए की जरूरत है।

स्थापना व्यय लगातार बढ़ रहा

सरकार का स्थापना व्यय साल भर में करीब 42 हजार करोड़ रुपए है। इसमें अफसरों और कर्मचारियों के वेतन भत्तों में खर्चा 30 हजार करोड़ के करीब है। इसके अलावा 12 हजार करोड़ रुपए वाहनों, सरकारी दफ्तरों के फर्नीचर और स्टेशनरी पर खर्च होते हैं, इसमें से 5000 करोड़ की कटौती किया जाना है। यह राशि किसानों की कर्जमाफी में समाहित की जाएगी।

सरकार ने वन टाइम सेटलमेंट स्कीम के तहत लघु और सीमांत किसानों के कोऑपरेटिव सोसायटियों से लिए कर्ज माफ़ किए जा रहे हैं। सहकारी बैंकों से 12.47 लाख किसानों ने 3236 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। यह राशि 22 फरवरी से किसानों के खातों में जाना शुरू हो जाएगी। सरकार खजाने पर बोझ कम करने के लिए अन्य खर्चों में कटौती करने के लिए कमर कस चुकी है।